IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित LPG Price Cut: महंगाई से बड़ी राहत! घट गए एलपीजी सिलेंडर के दाम, जानें नए रेट Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये 2 छोटे बिजनेस, सरकार से मिलेगा लोन और सब्सिडी की सुविधा Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी मोटी कमाई! एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 24 November, 2018 12:00 AM IST
By:

देश के वैज्ञानिक संस्थान और अनुंसधान परिषद ने भांग के पौधे से तीन तरह की ऐसी दवाईओं को विकसित किया है जिनका इस्तेमाल मिर्गी, कैंसर, और स्किन सेल जैसे रोगों का उपचार किया जा सकता है. भांग के पौधे से बनी दवाओं का परीक्षण पशुओं पर शुरू कर दिया गया है साथ ही मानव पर भी इसके परीक्षण हेतु ड्रग कंट्रोलर जनरल से अनुमति मांगी गई है. इन तीनों ही दवाओं को अमेरिका में विकसित दवाओं की तर्ज पर भारतीय जरूरतों के हिसाब से विकसित किया गया है. दरअसल इससे पहले अमरीका में भांग से बनी इन दवाओं को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है. इन दवाओं से कैंसर के मरीजों को विशेष रूप से फायदा पहुंचने की उम्मीद है.

कई दवाओं पर चल रहा रिसर्च

सीएसआईआर की तरफ से पहली बार भांग के पौधे से इन दवाओं के निर्माण को लेकर विभिन्न पक्षों के साथ काफी गहन विचार किया गया है. इसके लिए काफी उच्चस्तरीय बैठक भी गई है. इस दौरान जम्मू स्थित प्रयोगशाला इंडियन इस्टीट्रूयूट अफ इंटीग्रेटिव मेडिसन के निदेशक के डॉ रामविश्वकर्मा के मुताबिक उनकी प्रयोगशालाओं ने इन दवाओं को पूरी तरह से विकसित कर लिया है. अब इन दवाओं के मानव परीक्षण हेतु अनुमति मांगी गई है इसके अलावा भांग से दूसरी दवाओं को बनाने का भी काम चल रहा है. संस्थान के मुताबिक भांग के पौधे पर रिसर्च कर दवा को बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से एक एकड़ भूमि पर भांग की खेती के लिए लाइसेंस दिया गया है.

दो साल में आएगी दवा

आईआईएम के निदेशक डॉ राम विश्वकर्मा के मुताबिक ये दवाएं लोगों को दो साल के भीतर आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी. इन दवाओं को बायोइक्वेंस श्रेणी में ही बनाया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इनका प्रभाव अमेरिका जैसी स्वीकृत दवाओं जैसा ही होना चाहिए. यदि शोधकर्ता इस बात को साबित कर पाते हैं तो सीमित परीक्षणों के बाद उन्हें ड्रग कंट्रोलर सीधे बाजार में लाने की अनुमति दे सकता है.

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: Preparation of human test of medicines made from cannabis plant
Published on: 24 November 2018, 05:26 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now