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Updated on: 23 October, 2019 12:00 AM IST

अनानास को औषधी पौधा कहा जाता है. इसमे न्यूट्रीशन के साथ-साथ स्वास्थवर्धक तत्वों की भरमार होती है. स्वाद के अलावा इसका प्रयोग सेहत के लिए भी हजारों सालों से दवाइयों में होता रहा है. भारत में इसका प्रयोग आमतौर पर भोजन, सलाद और मिठाइयों में होता है. इसके अंदर कैल्शियम और फाइबर की मात्रा अच्छी होती है, जिस कारण कमजोर और वृद्ध लोगों के लिए ये फायदेमंद है. चलिए आपको बताते हैं इस पौधे की खेती के बारे में.

अनानास की खेतीः

अनानास की खेती भारत में लगभग हर स्थान पर की जा सकती है. हालांकि इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त माना गया है. अनानस की खेती 15 से 33 डिग्री के तापमान में अच्छे से हो सकती है, जिसका मतलब है कि पश्चिमी समुद्री तटीय क्षेत्र और उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में समुद्र तट से 1 हजार से 2 हजार फुट की ऊंचाई पर इसको आराम से उगाया जा सकता है.

बुवाई का समयः

अनानास की बुआई के लिए सबसे अच्छा समय बरसात के दिनों का है. खेती के लिए इसको बराबर से एक कतार से दूसरी कतार में लगाते हुए भूमि में 10 सेटींमीटर छोटे रोपे में बोये. भूमि में पौधे को सीधे लगाना चाहिए. पौधों को एक सप्ताह छाया में सुखाए और पत्तियों को अलग कर दें.

सिंचाई का तरीकाः

इस पौधे को हल्की सिंचाई की जरूरत होती है, इसलिए महीने में तीन बार सिंचाई करना जरूरी है. ध्यान रहे कि अनानास की पौधों की जड़े पूरी तरह से उथली हुई होती है. हालांकि सिंचाई की जरूरत भूमि की किस्मों पर भी निर्भर करती है.

अनानास के लिए खादः

इसकी खेती में खादों का अहम योगदान है. इसके उत्पादन में नाइट्रोजन और पोटेशियम का अधिक योगदान रहता है. अनानास के बागों में अधिक मात्रा में 6 टन कुल कंपोस्ट खाद, 500 किलो अमोनियम सल्फेट, 400 से 450 किलो सिंगल सुपर सल्फेट और 160-250 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश की मात्रा की जरूरत होती है                            

कटाई और तुड़ाईः

आमतौर पर इन पौधों पर रोपाई के बाद 15 से 18 महीने में फूल आते है और पुष्पन के लगभग 4-5 महीने बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं. जब फूल 80 प्रतिशत तक परिप्कव हो जाए तब आप आसानी से इनको पेड़ों से तोड़ सकते है.

English Summary: pineapple plant is full of medical benefits know the use and advantage
Published on: 23 October 2019, 06:11 IST

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