बहुत से किसान हैं, जिन्होंने औषधिये पौधों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया है, लेकिन इसी क्षेत्र में यदि आप कुछ अलग करें, तो आपकी और आपके फसल की डिमांड उतनी ही बढ़ कर निकलती है. ऐसे में यदि आप मेडिसिनल पौधा लगाने के साथ कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने के इच्छुक हैं, तो आप पत्थरचट्टा के खेती (Patharchatta Farming) कर सकते हैं.
कैसे करें पथरचट्टा की खेती (Bryophyllum Pinnata Farming)
उगाने और देखभाल करने के टिप्स (Grow and care tips)
Patharchatta का पौधा आप किसी भी नर्सरी या ऑनलाइन डिलीवरी स्टोर से खरीद सकते हैं या फिर आप इन्हें इसके पत्तों से भी आसानी से उगा सकते हैं.
अनुकूल मिट्टी (Soil)
Patharchatta को उगाने के लिए आप बस नम मिट्टी के ऊपर एक पत्ता रखें और कुछ ही दिनों में आप पूर्ण विकसित पौधों खड़ा पाएंगे.
पथरचट्टा का पौधा (Bryophyllum Plant)
एक बार Patharchatta Ka Paudha पूरी तरह से विकसित हो जाने पर इसके नए पौधे नम मिट्टी में गिर जाते हैं. फिर यह नए पौधों के रूप में उगने लगते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नए पौधे टेराकोटा के बर्तनों में लगाए जाते हैं, जिनमें तल में जल निकासी छेद होते हैं.
पोटिंग मिक्स (Potting Mix)
60% दोमट मिट्टी + 20% कोको पीट + 20% रेत के साथ पोटिंग मिक्स तैयार करें.
पत्थरचट्टा का पौधा कैसे उगाएं (How to Grow Patharchatta Plant)
सूरज की रोशनी (Sunlight)
अपने पौधों को सीधी धूप के साथ एक उज्ज्वल स्थान पर रखें. इसे रोजाना कम से कम 4 से 5 घंटे धूप की जरूरत होती है. ब्रायोफिलम के पौधे अत्यधिक गर्मी सहन कर सकते हैं लेकिन पाला को नहीं झेल पाते हैं. इसके लिए आपको पौधों को घर के अंदर रखना होता है या खेती में शेड के अंदर रखने की जरूरत होती है.
पानी (Water)
पत्थरचट्टा में वसंत और गर्मी के महीनों के दौरान जब मिट्टी लगभग 2 से 3 इंच की गहराई तक सूख जाए तभी इसमें पानी डालें. ब्रायोफिलम के पौधों में यदि फिल्टर पानी का उपयोग करें तो इसका विकास और भी अच्छे से हो पता है.
उर्वरक (Fertilizer)
Patharchatta के उचित विकास के लिए हर दो महीने में एक बार आधा चम्मच बोन मील लगाएं.
कीट और रोग (Pests and Diseases)
पत्थरचट्टा के पौधे में संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए भूरे रंग के पत्ते हटा दें और एफिड्स को भी हाथ से हटा दें. यदि पौधा फफूंदी से संक्रमित हो जाता है, तो इसे नियंत्रित करने के लिए पोटेशियम बाइकार्बोनेट का उपयोग किया जा सकता है.
पथरचट्टा के उपयोग और फायदे (Uses and Benefits of Patharchatta)
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पारंपरिक चिकित्सा में, पत्थरचट्टा की पत्तियों के रस का उपयोग गुर्दे की पथरी के लिए भी किया जाता है.
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इसके पत्तों को नारियल के तेल में मिलाकर सिर दर्द को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है.
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बवासीर और रक्त मिश्रित दस्त होने पर रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए पत्ते का रस 10-15 मिलीलीटर की खुराक में दिया जाता है.
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ब्रायोफिलम पिनाटम की पत्तियों का लेप कीट के काटने और जलने के उपचार में बाहरी उपयोग के लिए प्रयोग किया जाता है.
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यह घाव, अल्सर के उपचार और रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी है.
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सूखी पत्तियों वाली चाय एक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करती है और उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करती है.
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पत्थरचट्टा का उपयोग (Patharchatta ke Fayde) उच्च रक्तचाप, ब्रोन्कियल परेशानी, खांसी और सर्दी, गठिया और कुछ कीड़े जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जा सकता है.
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अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और आंतों की समस्याओं के लिए औषधीय उपचार के रूप में ताजी पत्तियों को कच्चा भी खाया जा सकता है.