नागरमोथा एक तीखा और कड़वा पौधा होता है जिसकी तासीर ठंडी होती है. यह पौधा हल्का होता है. यह पौधा कफ, पित्त, खून की अशुद्धता को ठीक करने में सहायक होता है. नागरमोथा का पौधा अधिकतम तालाबों और नदियों के किनारे नमी वाली जमीन पर पाया जाता है. इसके फूल जुलाई और फल दिसम्बर में लगते हैं.
नागरमोथा के पौधे तीन प्रकार के होते हैं-
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मोथा (Cyperus Rotundus)
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नागरमोथा
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केवटीमोथा
नागरमोथा आमतौर पर “नट ग्रास” के नाम से जाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम साइपरस रोटंडस (Cyperus rotundus) है, यह पौधा हर्ब साइपरेसी (Cyperacea) परिवार से संबंध रखता है. भारत में भी हर्ब आसानी से मिल जाता है जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में भी काफी होता है और इसका खास महत्व है. जड़ी-बूटी के प्रमुख रासायनिक घटक एसेंशियल ऑयल, फ्लेवोनोइड्स, टेरपीनोइड्स, साइपरोल, गोजुजेन, ट्रांस-कैलामेनीन, कैडलीन, साइपरोटंडोन, मस्टैकोन, आइसोसाइपोलोल, आइसोकोनोल आदि हैं.सर्च के मुताबिक इस हर्ब में एनाल्जेसिक, डायूरेटिक,कृमिनाशक, एंटी-इंफ्लेमेटरी,एंटी-डाइसेंट्रिक, रोगाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, जो कई रोगों से ठीक करने में लाभकारी हैं.
नागरमोथा पौधा देखने में घास की तरह लगता है. यह हर्ब कई रोगों को दूर करने में प्रभावी है जैसे पेट, त्वचा, दांतों और गर्भाशय की समस्याएं आदि को ठीक करने में सहायक होता है. हमारे देश में ही नहीं अन्य देशों में भी नागरमोथा का इस्तेमाल स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है. यह पौधा चीन में 250 एंटीफर्टिलिटी प्लांट्स में से 8 वें स्थान पर है. चलिए जानते हैं इसके क्या लाभ हैं.
नागरमोथा पौधे के फायदे
नागरमोथा का इस्तेमाल मासिक धर्म में महिलाओं को होने वाली समस्याओं जैसे पेट दर्द, अपच या ऐंठन आदि को दूर करने में प्रभावी है. इसके साथ ही गर्भाशय की परेशानियों को दूर करने में भी यह हर्ब फायदेमंद है. सर्वाइकल कैंसर के उपचार के लिए भी नागरमोथा का प्रयोग किया जाता है.
पेट दर्द
पेट दर्द वाले रोगी अगर काली मिर्च के साथ हर्ब का प्रयोग करते हैं तो वह दस्त गैस जैसी समस्या से दूर हो सकते हैं.
बुखार
नागरमोथा के तने का सूखे अदरक और अन्य औषधियों के साथ काढ़ा बना कर रोगी को पिलाने से मलेरिया या टाइफाइड में होने वाले बुखार ठीक हो जाता है.
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त्वचा के लिए लाभदायक
इस हर्ब को त्वचा पर लगाया जाए तो त्वचा के दाग-धब्बे, बालों में होने वाली रुसी, घाव या त्वचा के अलसर से रोगी को छुटकारा मिलेगा. साथ ही बिच्छू आदि के काटने पर भी नागरमोथा का इस्तेमाल किया जाता है