Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 17 April, 2023 12:00 AM IST
Milk Thistle Cultivation in India

दूध थीस्ल (Milk Thistle) की भारत में परंपरागत रूप से खेती नहीं की जाती है, लेकिन इसे उपयुक्त पर्यावरणीय परिस्थितियों वाले कुछ क्षेत्रों में औषधीय पौधे के रूप में उगाया जा सकता है. इसके बीजों और पत्तियों का इस्तेमाल आयुर्वेद में किया जाता है.

दूध थीस्ल के लिए मिट्टी

मिल्क थीस्ल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है. यह एक कठोर पौधा है जो दोमट, रेतीली और चिकनी मिट्टी सहित कई प्रकार की मिट्टी में उग सकता है.

दूध थीस्ल की खेती के लिए सही समय

दूध थीस्ल के बीज आमतौर पर वसंत ऋतु में बोए जाते हैं.

दूध थीस्ल के लिए जलवायु

इस पौधे के लिए या तो धूप वाली या आधी छाया वाली जगह उपयुक्त होती है.

दूध थीस्ल के लिए सिंचाई

इसके लिए बहुत कम सिंचाई की जरूरत होती है. हालांकि प्रारंभिक विकास अवस्था विशेष रूप से अंकुरण और स्थापना के चरणों के दौरान इसे नियमित रूप से पानी देना आवश्यक होता है.

भारत में कहां होती ह दूध थीस्ल की खेती

भारत में, दूध थीस्ल की खेती समशीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों जैसे उत्तरी राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में की जा सकती है. इसके साथ ही इसकी खेती उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी की जा सकती है. तमिलनाडु में भी इसकी खेती की जा सकती है.

दूध थीस्ल खेती के लिए कटाई

पौधों को लगभग 100 से 120 दिनों के बाद काटा जा सकता है. बीज पौधे का सबसे मूल्यवान हिस्सा होते हैं, क्योंकि इनमें सिलीमारिन होता है, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. दूध थीस्ल के कई सारे अदभूत स्वास्थ्य लाभ हैं, जिसका लिंक नीचे दिया गया है.

ये भी पढ़ें: Milk Thistle: दूध थीस्ल क्या हैं? जानें इसके रोचक स्वास्थ्य लाभ

दूध थीस्ल की खेती में खरपतवार नियंत्रण

यह पौधा खरपतवारों की तरह व्यवहार करता है और जल्दी से पूरे स्थान में फैल जाता है. ये आस-पास के पौधों के सभी पोषक तत्वों और स्थान को अवशोषित कर सकता है, इसलिए नियमित रूप से हाथ से निराई और छंटाई आवश्यक है, और यदि संभव हो तो इसे गमलों में उगाने का प्रयास करें.

भारत में दुग्ध थीस्ल की खेती अभी भी अपेक्षाकृत असामान्य है, लेकिन इसमें किसानों के लिए आय का एक मूल्यवान स्रोत प्रदान करने और देश के बढ़ते हर्बल दवा उद्योग में योगदान करने की क्षमता है. हालांकि, इसकी खेती और बिक्री करने के लिए सभी प्रासंगिक नियमों व मानकों का पालन करना जरूरी है.

English Summary: Milk Thistle Cultivation in India
Published on: 17 April 2023, 05:13 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now