चित्रक एक सदाबहार झाड़ी पौधा है, जो हमेशाहरा-भरा रहता है. इस पौधे की जड़ें गठीली होती है, जबकि तना सीधा, कठोर और गोलाकार होता है. इस पौधें का प्रयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज में भी होता है. इसकी खेती उत्तर प्रदेश, दक्षिण भारत, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड औरबिहारजैसे राज्यों में होती है. चलिए इसकी खेती के बारे में आपको बताते हैं.
उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी (Suitable climate and soil)
इस पौधें की खेती रेतली एवं चिकनी मिट्टी में बड़ी आसानी से की जा सकती है. इसकी खेती के लिए मई-जून महीने में जमीन तैयार कर लेनी चाहिए. मानसून प्रारम्भ होते ही नर्सरी में अंकुरित कलमोंको लगाना सही है. पौधोंको लगाने से एक महीने पहले हल चलाकर खेतो की जोताई के समय प्रति हेक्टेयर 10 टन उर्वरक में मिला लें.
प्रत्यारोपण (Transplant)
कलमों के अंकुरण के बाद 50 दिनों के अंदर पौधों को मुख्य खेत में लगाना चाहिए. पौधों से पौधों की दूरी 50X25 सेमी. होनी चाहिए. पौधोंको लगाने के एक महीने बाद अगस्त महीने में खरपतवारोंको निकालने के लिए गुड़ाई करनी चाहिए. इसी तरह दूसरी और तीसरी गुड़ाई के लिए अक्टूबर और दिसंबर का समय उपयुक्त है.
सिंचाई (Irrigation)
पौधों की जरूरत अनुसार सिंचाई करें. बरसात के मौसम में विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. ध्यान रहे कि खेतों में पानी खड़ा न रहने पाए क्योंकि जल के जमाव से पौधा खराब हो सकता है.
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कटाई (Harvesting)
चित्रकका पौधा लगभग एक वर्ष में कटाई के लिए तैयार हो जाता है. 12 महीने बाद कटाई करनी चाहिए. एक हेक्टेयर खेत के लिए 20 हजार पौधे से 80 हजार कलमें तैयार की जा सकती है.अगर खेत में फसल की स्थिति ठीक है, तो आप 12 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टर तक की उपज पा सकते हैं.
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