भारत ही नहीं बल्कि दनिया के लगभग हर देश में गेंदे के फूल लोकप्रिय हैं. दुनिया भर में इसकी कई किस्में पाई जाती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि ये फूल आसानी से बढ़ते हैं और इसमें कीटों के लगने की संभावना बहुत कम होती है. इसी कारण बागवानी के लिए इसे सबसे उपयुक्त फूल भी कहा जाता है.
गेंदा का फूल सिर दर्द, सूजन, दांत दर्द, घाव और अन्य तरह की बीमारियों में भी लाभदायक है. इसे औषधीय प्रयोजनों के रूप में सदैव मूल्यवान माना गया है. चलिए आज हम आपको इस फूल के औषधीय गुणों के बारे में बताते हैं.
मिस्र से आया गेंदा
इतिहासकारों का मानना है कि गेंदें का मूल निवास संभवतः मिस्र रहा होगा और वहीं से इसे रोम एवं ब्रिटेन में लाया गया होगा. प्राचीन यूनान में सजावट और अन्य उद्देश्यों में इसका उपयोग लंबे समय से होता रहा है.
त्वचा के लिए लाभदायक है गेंदा
गेंदा का उपयोग त्वचा के लिए अति लाभदायक है. इससे जलन, घाव और चकत्ते जैसी बीमारियां दूर होती है. इसका उपयोग कई तरह की त्वचा रोग के उपचार में किया जाता है. इसके पेस्ट को त्वचा पर लगाने से सूजन, लालिमा और सूखेपन की समस्या दूर होती है. शरीर की सफाई में गेंदा लाभदायक है. ये सभी विषैले तत्वों को हटाकर शरीर को स्वच्छ करता है.
इस भूमि पर हो सकती है गेंदे की खेती
गेंदे की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है. इसके लिए आम तौर पर हर प्रकार की मिट्टी उपयोगी ही है, लेकिन अगर बिजनेस की दृष्टि से देखा जाए तो दोमट भूमि उत्तम है. जिस जगह का चुनाव कर रहे हैं, वहां जल निकासी सुविधा का होना जरूरी है.
जलवायु
गेंदे की खेती के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी पौधों के लिए सही नहीं है. 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इसका उत्पादन सबसे अधिक हो सकता है. गेंदें की खेती की अधिक जानकारी के लिए आप कृषि जागरण की इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं.