सर्पगंधा का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर और बहुवर्षीय फसल वाला पौधा होता है. इससे कई प्रकार की दवाएं तैयार की जाती हैं, इन मार्किट में हर कोई आयुर्वेद की और भाग रहा है ऐसे में सर्पगंधा की काफी मांग बढ़ गयी है. अगर आप खेती किसानी करते हैं तो पारंपरिक खेती के बजाय इसकी खेती आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होगी जिससे आप अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बना सकते हैं.
सर्पगंधा की खेती के लिए उचित जलवायु और मिट्टी
सर्पगंधा की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए गर्म और ज़्यादा आर्द्र(नमी) जलवायु चाहिए होती है. इसके लिए करीब 10 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए तभी आप इसकी खेती में सफल हो सकते हैं. सर्पगंधा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें, तो इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी, दोमट मिट्टी एवं भारी मिट्टी में भी की जाती है. इसके लिए मिट्टी में पर्याप्त में जीवांश पदार्थ होना चाहिए. मिट्टी का पी.एच. मान 8.5 से अधिक नहीं होनी चाहिए.
सर्पगंधा की खेती करने के लिए सही समय
सर्पगंधा की खेती करने के लिए गर्म और नमी वाले मौसम की जरुरत होती है और साथ ही इसकी खेती करने से पहले नर्सरी में पौध तैयार की जाती है. इसलिए सर्पगंधा की खेती में पौध की तैयारी मई-जून में करनी चाहिए और इसकी रोपाई अगस्त में करनी चाहिए.
खेत तैयार करने की प्रकिया
खेती करने के लिए सबसे पहली प्रक्रिया जुताई होती है, इसलिए सर्पगंधा की खेती के लिए भी सबसे पहले एक बार गहरी जुताई की जरुरत होती है और उसके बाद पूरे खेत में 2 से 3 टन गोबर की खाद मिलाकर पाटा लगाना होता है. इसके बाद खेत की क्यारियां तैयार की जाती हैं ताकि खेत में पैदा होने वाले खरपतवार को आसानी से निकाला जा सके. रोपाई के समय एक पौध से दूसरी पौध की दूरी 30 सेंटीमीटर की होनी चाहिए.
बीज की मात्र और उसका उपचार करने विधि
सर्पगधा की खेती में एक एकड़ खेत में खेती करने के लिए 3.2 से 4 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है. बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम से उपचारित ज़रूर करें.
पौध तैयार करने की पूरी विधि
सर्पगंधा के पौधे की लंबाई 30 से 75 सेंटीमीटर होती है इसकी पत्तियां 10 से 15 सेंटीमीटर लंबी और चमकीली होती हैं. इसकी पौध तीन तरीके से तैयार की जाती है बीज, जड़, कलम.
बीज द्वारा पौध तैयार करने की विधि
सर्पगंध की खेती पौध द्वारा की जाती है और इसे नर्सरी में तैयार किया जाता है. अगर इसे बीज से तैयार किया जाये तो सबसे पहले लगभग 24 घंटे पहले बीजों को पानी में डालकर रखना होता है. और उसके बाद ही इसे पौध के लिए लगाया जाता है.
कलम द्वारा पौध तैयार करने की विधि
सर्पगंधा के पौधों की जड़ें और तनों दोनों से कलम तैयार की जा सकती है. तने के द्वारा कलम तैयार करने के लिए 15 से 20 सेंटीमीटर की लम्बाई में तनों की कटाई करें और प्रत्येक तने में 2 से 3 गांठे होना जरूरी है. इस कलम की रोपाई पहले नर्सरी में करें. करीब 4 से 6 सप्ताह में जड़ें बनने लगती हैं. जड़ों के बनने के बाद पौधों को सावधानी से निकाल कर मुख्य खेत में रोपाई करें.
जड़ द्वारा कलम तैयार करने की विधि
जड़ से कलम तैयार करने के लिए 2.5 से 5 सेंटीमीटर की लम्बाई में जड़ों को काटें. इसके बाद नर्सरी में जड़ों की रोपाई करें. करीब 3 सप्ताह में पौधे के उगने की शुरुआत हो जाती है.
सर्पगंधा की खेती में लगने वाले कुछ रोग और उससे हटाने के तरीके
पत्तों पर लगने वाला धब्बा रोग
पत्तों पर धब्बा लगाने वाला रोग बड़ा ही आम है, इसमें सर्पगंधा के पेड़ के पत्तों पर भूरे रंग के धब्बे लग जाते हैं जिसके बाद पत्ता पहले पीला हो जाता है और उसके बाद सूखकर गिर जाता है. इसकी रोकथाम करने के लिए 400 ग्राम डाइथेन एम-45 को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
जड़ गलने वाला रोग
खेती-किसानी में रोग लगना बहुत आसान है, लेकिन उसे हटाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. जड़ गलने की समस्या सर्पगंधा की खेती में मैलोएडोगाइन इनकोगनीटा और मैलोएडोगाइन हाप्ला के कारण होती है. इस रोग के कारण पेड़ की जड़ें गलने लगती हैं और साथ ही पत्तियां भी गिरने लगती हैं. इस पर नियंत्रण के लिए 3 जी कार्बोफिउरॉन 10 किलोग्राम या 10 जी फोरेट ग्रैनुलस 5 किलोग्राम प्रति एकड़ में डालें.
गहरे भूरे धब्बे वाला रोग
इस रोग के कारण पत्तों पर भूरे धब्बे पड़ने लगते हैं. इससे बचाव के लिए प्रति एकड़ खेत में 30 ग्राम ब्लीटॉक्स को 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर स्प्रे करें.