भारतीय परंपरा में आयुर्वेदिक दवाओं का प्रचलन काफी लंबे समय से हो रहा है. यह विश्व की प्राचीन चिकित्सा पद्धति में से एक है. आयुर्वेद का संबंध मानव शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त रखने से है. यह तकनीक भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार जैसे देशों में भी बहुत प्रचलित है.
आयुर्वेद का प्रभाव
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का हमारे शरीर पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. यह एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है, जो पिछले 6,000 वर्षों से भारत और इसके पड़ोसी देशों में प्रचलित है. यह संस्कृत से लिया हुआ एक शब्द है. आयुर्वेद का उल्लेख कई सदियों से होता आ रहा है और हम इसको वेदों और पुराणों की कहानियों में भी सुनते आ रहे हैं.
क्या है शिरोधारा
शिरोधारा का अर्थ है- सिर की धारा. इसके माध्यम से माथे के बीच में तेल का प्रवाह कर हमारे शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार के विकारों को दूर किया जाता है. अगर आपके सिर में प्राय: दर्द होता है तो इस विधि को आपको जरुर अपनाना चाहिए. इसके अलावा यह पद्धति हमारे शरीर के विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाने में सहायक होती है. यह लंबे समय से होने वाले सिरदर्द, अनिद्रा, डिप्रेशन, आंखों की रोशनी कम होना. शरीर में कमजोरी आना और याददाश्त कम होना आदि जैसी समस्य़ाओं का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है.
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आधुनिक युग में आयुर्वेद का महत्व
आज की इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में लोगों के पास खुद के लिए समय नहीं रहता है और पैसों के चक्कर में इंसान अपने परिवार और चाहने वालों से दूर रहता है. ऐसे में अनिद्रा, मानिसक असंतुलन, चिड़चिड़ापन और तमाम प्रकार की मानसिक बीमारियां फैलती जा रही हैं. ऐसे में इन रोगों के इलाज के लिए आज भी लोग अंग्रेजी दवाओं के बजाय यह आयुर्वेदिक तरीकों को ही अपनाना चाह रहे हैं. इस वैज्ञानिक युग में भी लोग पुरानी परंपरा को भी अपनाना चाह रहे हैं.