Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 22 May, 2020 12:00 AM IST

कलिहारी की खेती मुख्य तौर पर दवाईयों को बनाने के लिए की जाती है. इससे बनने वाले अधिकतर दवाई जोड़ों के दर्द, एंटीहेलमैथिक, ऐंटीपेट्रिओटिक आदि के उपचार में काम आते हैं. इसके इलावा पॉलीप्लोइडी के उपचार में भी इस पौधे का उपयोग किया जाता है. सरल शब्दों में कहा जाए तो कलिहारी एक तरह की जड़ी-बूटी ही है, जो किसी बेल की तरह बढ़ती है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.

फल-फूल

इस पौधे की औसतन ऊंचाई की बात करें तो ये 3.5-6 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं. इसके पत्ते बिना डंठलों के 8 इंच तक लम्बे हो सकते हैं. इसके फूलों का रंग हरा होता है, जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है और फलों की लम्बाई 2 इंच तक होती है.

मिट्टी

इसकी खेती मुख्य तौर दोमट रेतली मिट्टी पर आसानी से हो सकती है. भारत में इसकी खेती तमिलनाडु और कर्नाटक के क्षेत्रों में होती है. मिट्टी का पीएच मान 5.5 -7 तक होना चाहिए, ध्यान रहे कि सख्त मिट्टी में इसके लिए लाभकारी नहीं है.

खेत की तैयारी

कलिहारी को बिजाई के लिए जोताई कर सबसे पहले खेतों को भुरभुरा और समतल बनाना जरूरी है. पानी को जमा होने से रोकने के लिए जल निकासी की व्यवस्था करें.

बिजाई का समय और तरीका

इसकी बिजाई के लिए मध्य जून से अगस्त तक का समय उपयुक्त है. पनीरी वाले पौधों में 60x45 सेंटीमीटरकी दूरी रखनी जरूरी है. बीजों की आपसी दूरी 6-8 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए.

सिंचाई

इस फसल को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है, हालांकि बढ़िया फसल के लिए थोड़े-थोड़े समय बाद सिंचाई करना लाभदायक है. शुरु में साप्ताहिक सिंचाई और फल पकने के समय दो बार सिंचाई करनी चाहिए.

कटाई

कटाई का काम बिजाई के लगभग 6 महीने बाद शुरू कर देना चाहिए. इसके फलों के गहरे हरे रंग के होने पर तुड़ाई का काम करना चाहिए. गांठों की कटाई बिजाई के लगभग 6 साल के बाद करनी चाहिए.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

English Summary: huge demand of Flame lily in health sector know more about Flame lily farming benefits
Published on: 22 May 2020, 03:55 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now