Mangifera Indica: आम भारत का प्रमुख फसल वृक्ष है, लेकिन इसकी सफल खेती में कई रोग और विकार बाधा उत्पन्न करते हैं. आम का मालफॉर्मेशन (Malformation) एक गंभीर विकार है, जो मुख्य रूप से एक फफूंद फ्यूज़ेरियम मंगीफेराई (Fusarium Mangiferae) के कारण होता है. यह रोग भारत में विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में व्यापक रूप से पाया जाता है. पहली बार इसकी पहचान बिहार के दरभंगा जिले से की गई थी.
यह रोग दो मुख्य रूपों में देखा जाता है:
- वानस्पतिक मालफॉर्मेशन (Vegetative Malformation)
- पुष्पीय मालफॉर्मेशन (Floral Malformation)
इस लेख में हम वानस्पतिक मालफॉर्मेशन के लक्षण, कारण और प्रभावी प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा करेंगे.
वानस्पतिक मालफॉर्मेशन के लक्षण (Symptoms of Vegetative Malformation)
छोटी-छोटी पत्तियों के झुंड – आम की सामान्य पत्तियों की जगह छोटी-छोटी पत्तियाँ एक साथ गुच्छों के रूप में निकलती हैं, जिससे पौधे का सामान्य विकास बाधित हो जाता है.
नवजात पौधों में अधिक प्रकोप – यह विकृति नवजात वृक्षों में अधिक दिखाई देती है और इससे उनकी वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
अस्वाभाविक वृद्धि – प्रभावित टहनियाँ और शाखाएँ मोटे गुच्छों में परिवर्तित हो जाती हैं, जिससे वृक्ष की संरचना असंतुलित हो जाती है.
फलन पर प्रभाव – अधिक संक्रमण होने पर यह पौधे की फूल और फल बनने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है.
रोग के अनुकूल परिस्थितियां (Favorable Conditions for Disease Development)
तापमान: यह रोग 26 ± 2°C तापमान पर सबसे अधिक फैलता है. अत्यधिक ठंड (10°C से कम) या अत्यधिक गर्मी (40°C से अधिक) में यह रोग कम प्रभावी होता है.
सापेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity): 65% या अधिक नमी इस रोग के लिए अनुकूल मानी जाती है.
नवजात वृक्षों का अधिक खतरा: नवोदित पौधों में यह विकृति अधिक देखी जाती है, क्योंकि उनका विकास तेजी से हो रहा होता है.
संक्रमित कलमों या पौधों का उपयोग: यदि संक्रमित पौधों से कलमें या नए पौधे बनाए जाते हैं, तो यह रोग अगले वृक्षों तक भी फैल सकता है.
वानस्पतिक मालफॉर्मेशन का प्रबंधन (Management of Vegetative Malformation)
संक्रमित टहनियों का हटाना (Pruning of Affected Shoots)
जैसे ही लक्षण दिखें, प्रभावित टहनियों को 15-20 सेमी नीचे से स्वस्थ भाग के साथ काटकर हटा देना चाहिए और उन्हें जला देना चाहिए.
रोगमुक्त रोपण सामग्री का उपयोग (Use of Disease-Free Planting Material)
नए पौधे लगाते समय रोगमुक्त नर्सरी पौधों का ही चयन करें. संक्रमित टहनियों या शाखाओं से नए पौधे बनाने से बचें.
फफूंदनाशकों का छिड़काव (Fungicide Application)
साफ® (Carbendazim 50% WP) @ 2 ग्राम/लीटर पानी में घोलकर तुरंत छिड़काव करें.
प्लैनोफिक्स® (Planofix) का छिड़काव
अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्लैनोफिक्स® @ 1 मिली/3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
कोबाल्ट सल्फेट (Cobalt Sulfate) का छिड़काव
यदि क्षेत्र में यह समस्या गंभीर हो, तो फूल निकलने से पहले कोबाल्ट सल्फेट @ 1 मिली/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से पुष्प विकृति को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
संक्रमित कलियों को हटाना (Removal of Infected Buds)
प्रभावित क्षेत्रों में आक्रांत कलियों को हाथ से तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए, ताकि रोग का प्रसार न हो.
जैविक नियंत्रण (Biological Control)
ट्राइकोडर्मा विरिडे (Trichoderma viride) जैसे जैविक एजेंट्स के उपयोग से रोग के प्रभाव को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.
पोषण संतुलन बनाए रखना (Maintaining Proper Nutrition)
संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उपयोग करें. अत्यधिक नाइट्रोजन देने से रोग की गंभीरता बढ़ सकती है.
निष्कर्ष :
वानस्पतिक मालफॉर्मेशन आम के पौधों के विकास को बाधित करता है और इसकी उपेक्षा करने से उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. इस समस्या से बचने के लिए संक्रमित टहनियों को हटाना, रोगमुक्त रोपण सामग्री का उपयोग, जैविक एवं रासायनिक नियंत्रण उपाय अपनाना और उचित पोषण प्रबंधन आवश्यक है. यदि सही समय पर उचित रोकथाम एवं प्रबंधन तकनीकों को अपनाया जाए, तो इस रोग के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है और आम के बागानों को स्वस्थ एवं उत्पादक बनाए रखा जा सकता है.