रैफलेसिया एक ऐसा फूल है जिसे दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है. यह एक हैरान कर देने वाला परजीवी पौधा है. ये अपने विशाल आकार के लिए जाना जाता है. इसकी सबसे छोटी प्रजाति 20 सेमी व्यास की होती है. रेफलीशिया की ज्यादातर प्रजातियों में सड़े हुए मांस जैसी बदबू आती है जिससे कुछ कीट और पतंगे इसकी ओर आकर्षित होते है. इस फूल की खोज सबसे पहले इंडोनेशिया के वर्षा वनों में हुई थी.
इसकी खोज का इतिहास
रैफलेशिया का फूल सबसे पहले इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर पाया गया था. इसे सर्वप्रथम डॉक्टर जोसेफ अर्नाल्ड के एक स्थानीय गाइड ने देखा था. अभी तक इस फूल की कुल 26 प्रजातियां विकसित हो चुकी है. जिनमें से चार का नामकरण अभी तक ठीक से स्पष्ट नहीं हुआ है. इंडोनेशिया के अलावा ये फूल फिलीपीन्स व मलेशिया में पाया जाता है. इसका जन्म किसी संक्रमित पेड़ की जड़ से ही होता है.
ऐसा है फूल
ये फूल केवल जंगलों में ही उगता है. इसके उगने का तरीका यह है कि इसमें सबसे पहले एक गांठ सी बन जाती है फिर यह बड़ी होकर एक बंदगोभी का आकार ले लेती है और चार दिनों के अंदर इसकी पंखुड़ियां खुल जाती है. फिर बाद में पूरा फूल खिल जाता है. इसमें फूल एक ऐसा भाग है जो कि जमीन के ऊपर रहता है और शेष भाग कवक जाल की भांति पतले-पतले होते है और वह जमीन के अंदर ही धागों के रूप में फैले रहते है.
रैफलेशिया का उपयोग
रैफलेशिया फूल का मुख्य रूप से प्रयोग लोक चिकित्सा में किया जाता है. इस पौधे को प्रसव के बाद पुनः प्रयोग कर लिया जाता है. इस फूल को उभयलिंगी के रूप में उपयोग किया जाता है. इस पौधे में नर फूल ऊपर व मादा फूल नीचे होते है जिसे स्पैडिक्स कहा जाता है. ये पूरी तरह से पंखुड़ियों से घिरा होता है, इसको स्पैथ के नाम से भी जाना जाता है. इसमें पुरूष फूलों के ऊपर हाइरलिक संरचनाएं होती है जो कीड़ों को आकर्षित कर गंध को उत्सर्जित करता है और कीड़ों को आकर्षित करता है. जैसे ही किड़े स्लिम स्पैथ पर चढ़ते हैं. कीड़े नर फूलों के पराग में ढकते हैं.
मलेशिया में इस फूल के लिए एक पार्क पूरी तरह से रिजर्व है. जिसमें रैफलिशिया फूल की कई तरह की किस्मों को लगाने का कार्य किया जाता है. ऐसा इसीलिए किया जाता है ताकि इसको पर्यटकों का रुझान मिले और पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सके.