जायटॉनिक गोधन: लाभकारी जैविक खेती और पशुपालन के लिए आधुनिक समाधान Success Story: प्राकृतिक खेती ने बदली किस्मत, किसान से अग्रिप्रेन्योर बनीं नीतुबेन पटेल, यहां पढ़ें उनकी सफलता की कहानी आधुनिक खेती का स्मार्ट विकल्प है Yodha Plus Hybrid Bajra: कम समय और लागत में मिलता है ज्यादा मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 11 March, 2019 12:00 AM IST
एवोकैडो फल की खेती करने का तरीका

एवोकैडो या बट्टर फ्रूट स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होते हैं और ये आजकल काफी प्रचलन में भी हैं. यह अत्यधिक पौष्टिक युक्त होने के साथ-साथ केले से भी अधिक पोटेशियम युक्त होते है. लैटिन और दक्षिण अमेरिका के पकवानों में, एवोकैडो बहुत से व्यंजनों में प्रयोग किए जाते हैं. जैसे कि गुयाकमोले, टोमेटिल्लो सूप, चिपोतले चिलीस और चोरीज़ों ब्रेकफ़ास्टस आदि. हालांकि बीते कुछ सालों से भारत में भी इस फल का इस्तेमाल होने लगा है और लोग इस फल से तरह- तरह के व्यंजनों को बनाने लगे हैं और स्वादिष्ट शेक्स, पकवान और डेज़्ज़ेर्ट आदि में प्रयोग से परिचित हुए हैं.

एवोकैडो बेशक एक फल है. हम यह जानते भी हैं की एवोकैडो फाइबर, स्वस्थ ओमेगा -3 फैटी एसिड, विटामिन ए, सी, ई और पोटेशियम के साथ भरा एक पोषक फल हैं. हम यह भी जानते हैं कि एवोकैडो में विटामिन बी की प्रचुरता के कारण, यह तनाव से लड़ने में मदद करने के लिए सबसे अच्छा भोजन है. यह फल दक्षिण मध्यमेक्सिको  में ज्यादा पाया जाता है.

बता दे कि भारत में एवोकैडो की पैदावार ज्यादा नहीं होती है, इसकी दक्षिण भारत के कुछ ही क्षेत्रों में व्यावसायिक रूप से पैदावार की जाती है. जिन क्षेत्रों में इस फल की खेती ज्यादा होती हैं. उनमें तमिलनाडु की पहाड़ी ढलानों, महाराष्ट्र में कूर्ग, केरल और कर्नाटक के सीमित क्षेत्र शामिल हैं. उत्तर भारत में केवल एक राज्य जो सफलतापूर्वक एवोकैडोस की खेती कर रहा है वह पूर्वी हिमालय का राज्य सिक्किम है, जहां 800 से 1600 मीटर के बीच की ऊंचाई पर इसकी खेती करते हैं.

एवोकैडो की खेती का तरीका 

तापमान : एवोकैडो दक्षिण अमरीकी उपमहाद्वीप में पाये जाते हैं इसलिए इन्हें उष्ण कटिबंध जलवायु की जरूरत होती है. 60 फीसद से अधिक नमी सहित 20-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान इसकी अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त होता है. वैसे तो एवोकैडो के वृक्ष अधिक ठंड को सहन करने में सक्षम होते हैं लेकिन वे लगभग 5 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान ही आसानी से सहन कर पाते हैं. 5 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान इसके पुष्पों को नष्ट कर सकता है और 40 के आसपास का तापमान फल और फूल को मुरझाकर गिरा सकता है, लाल क्षेत्र एवोकैडो की खेती के लिए सर्वोत्तम है क्योंकि, यहां पर तापमान 40 के आसपास इतनी आसानी से नहीं पहुंचपाता है और गुलाबी क्षेत्र तो शायद आपके एवोकैडो वृक्षों को क्षतिग्रस्त कर देंगे. शायद इसलिए ये मुख्यतौर पर भारत के दक्षिणी भागों में उगाये जाते हैं. इस समय तमिलनाडु और केरल इसके प्रमुख उत्पादक हैं.

यह भी पढ़ें: Avocado Farming: बंपर मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं तो करें पोषक गुणों से भरपूर एवॉकाडो की खेती

नमी : एवोकैडो को 50-60% नमी की जरूरत पड़ती है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के ऊपरी भाग, अधिकांश उत्तर पूर्वी राज्य और दक्षिण भारत के अधिकांश पूर्वी और पश्चिमी तट इसकी खेती के लिए उपयुक्त होते हैं.

वर्षा : एवोकैडोस की पैदावार के लिए 100 सेमी प्रतिवर्ष से अधिक वर्षा की जरूरत होती है. राजस्थान, उत्तरी गुजरात और महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ भागों को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्र वांछित या उससे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र हैं. जहां पर एवोकैडोस की पैदावार की जा सकती है.

मिट्टी के प्रकार : भारत के अधिकतर क्षेत्रों में लाल मिट्टी पाई जाती है और लाल मिट्टी की पैदावार के लिए अच्छी नहीं होती. सामान्यत: लाल मिट्टी में पानी नहीं रुकता है और इसमें चिकनी मिट्टी की मात्रा कम होती है. तो वही इसकी खेती के लिए लेटराइट मिट्टी उपयुक्त होती है क्योंकि इसमें चिकनी मिट्टी की मात्रा अधिक होती है और इसमें पानी रोकने की क्षमता भी अधिक होती है. ऐसे में इसकी खेती के लिए तमिलनाडु, केरल, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल के कुछ भाग और पंजाब, हरियाणा के ऊपरी भाग तथा हिमाचल के निचले भाग उपयुक्त हैं.

English Summary: Know how the foreign fruit 'Avocado' cultivated
Published on: 11 March 2019, 06:16 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now