सिर्फ 10 एकड़ में 180 प्रकार की विभिन्न फसलें उगाकर अच्छी मोटी कमाई कर रहे अजय जाधव, पढ़ें इनकी संघर्ष की कहानी Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी मोटी कमाई! बिहार को ‘मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना’ के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मिला ‘प्रशस्ति पत्र’ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Top Agriculture Business Ideas: कृषि क्षेत्र के कम निवेश वाले टॉप 5 बिजनेस, मिलेगा बंपर मुनाफा! Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 27 June, 2019 12:00 AM IST

शहद के बड़े उत्पादकों की सूची में भारत का नाम भी आता है. अगर भारत में शहद उत्पादन की बात करें तो यहां शहद का उत्पादन 80 हजार मिलियन टन पार पहुंच गया है. शहद की बेहतर गुणवत्ता होने के कारण हम अमेरिका सहित अन्य देशों में इसका निर्यात भी करते हैं . देश में शहद के उत्पादन को तेजी से बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पहली बार नेशनल बी बोर्ड को 10 करोड़ रुपए का बजट भी दिया है. इसीलिए मध्यप्रदेश के मुरैना में मधुमक्खीपालन को तेजी से बढ़ाने पर जोर दिया है.

इटैलियन मधुमक्खी ज्यादा देती शहद

केंद्र की मोदी सरकार का उद्देश्य है कि वर्ष 2022 तक कैसे भी करके किसानों की आय को दोगुना किया जा सके और इसके लिए सरकार खेती-बाड़ी समेत मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने पर खासा जोर दे रही है. वही उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय मधुमक्खी के मुकाबले इटैलियन मधुमक्खी ज्यादा शहद देती है. दरअसल भारतीय मधुमक्खी का व्यवहार ज्यादा दोस्ताना नहीं होता है. वह छत्ते को छोड़कर वहां से उड़ जाती है. वही इटेलियन मधुमक्खी फ्रेंडली होती है, वह कॉलोनी को छोड़कर भी वापस वही आ जाती है. भारतीय मधुमक्खी में शहद की मात्रा कम ही होती है. इनकी जनसंख्या भी कम ही होती है. वही इटैलियन मधुमक्खी की आबादी बढ़कर 50 हजार तक पहुंच जाती है और यह शहद उत्पादन भी तीन गुना ज्यादा करती है.

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आई इटैलियन मधुमक्खी

पंजाब एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय वर्ष 1963 में बाहर से इटैलियन मधुमक्खी का पहला बीज लेकर आई थी. इस पर 1976 तक रिसर्च चली और र्ष 1976 में पहली बार पंजाब के किसानों को मधुमक्खीपालन के लिए दो बॉक्स मधुमक्खी के दिए गए थे. बाद में उन्होंने इन्ही दो बॉक्स के जरिए और ज्यादा मधुमक्खी पालन को आगे बढ़ाया.

उद्यानिकी विभाग देता है ट्रेनिंग और सब्सिडी

नेशनल हॉर्टिकल्चर  मिशन के तहत बागवानी महकमा मधुमक्खीपालन करने वाले किसानों को 1600 रूपए की सब्सिडी देता है.इसमें  800 रूपए बॉक्स और 800 रूपए मधुमक्खीपालन के शामिल होते है. एक बॉक्स समेत मधुमक्खीपालन की खरीद पर किसान के चार हजार रूपये खर्च होते है. यह सब्सिडी केवल उन्ही किसानों को मिलती है जिन्होंने हार्टिक्लचर विभाग या पीएसयू विभाग से ट्रेनिंग ली है. बॉक्स और मधुमक्खी मान्यता प्राप्त संस्थान से ही खरीदी होनी चाहिए. यह विश्वविद्यालय हर साल फरवरी और मार्च तथा सितंबर -नंबवर से ट्रेनिंग कैंप लगाते है.ये ट्रेनिंग फ्री होती है.

मीठी क्रांति से हो रहा लाभ

खादी ग्रामोद्योग विभाग ने हनी मिशन  शुरू किया है. इसके जरिए किसान और पैसा कमाने की चाह रखने वाले  रोजगार शुरू कर सकते है. लोग हनी मिशन के तहत मधुमक्खी पालन कर अतिरिक्त कमाई कर सकते है. अब तो ऐसी तकनीक आ गई है. इसके माध्यम से शहद निकालते समय मधुमक्खी मरती नहीं है बल्कि मॉम और पालन भी बनता है. 10 बक्सों की ईकाई शुरू करने पर 80 फीसदी अनुदान विभाग की ओर से दिया जाता है. शेष 20 फीसदी किसान को लगाना होता है. अनुमानित तौर पर मधुमक्खी पालन के 10 बॉक्स की ईकाई में 35 हजार रूपये का खर्च आता है. इसमें सात हजार रूपए किसानों को लगाना पड़ता है.

English Summary: Italian farmers earn millions of honey from bee honey
Published on: 27 June 2019, 02:04 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now