Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 10 October, 2017 12:00 AM IST
Cabbage

गांठ गोभी में एन्टी एजिंग तत्व होते हैं. इसमे विटामिन बी पर्याप्त मात्रा के साथ-साथ प्रोटीन भी अन्य सब्जियों के तुलना में अधिक पायी जाती है उत्पति स्थल मूध्य सागरीय क्षेत्र और साइप्रस में माना जाता है. पुर्तगालियों द्वारा भारत में लाया गया.  जिसका उत्पादन देश के प्रत्येक प्रदेश में किया जाता है . गांठ गोभी में विशेष मनमोहक सुगन्ध ‘सिनीग्रिन’ ग्लूकोसाइड के कारण होती है. पोष्टिक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ तथा कैल्शियम, फास्फोरस खनिज होते है. 

जलवायु : यह ठन्डे मसम की फसल है इसकी अन्य जलवायु सम्बन्धी आवश्यकताएं फूलगोभी की तरह  ही है उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती शरद कालीन फसल के रूप में की खेती की जाती है लेकिन दक्षिणी भारत में इसे खरीफ के मौसम में उगाया जाता है .


भूमि: जिस भूमि का पी.एच. मान 5.5 से 7 के मध्य हो वह भूमि गांठ गोभी के लिए उपयुक्त मानी गई है अगेती फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी  तथा पिछेती के लिए दोमट या चिकनी मिट्टी उपयुक्त रहती है साधारणतया गांठ गोभी की खेती बिभिन्न प्रकार की भूमियों में की जा सकती है  भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद उपलब्ध हो इसकी खेती के लिए अच्छी होती है हलकी रचना वाली भूमि में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जा सकती है .

खेत की तैयारी : पहले खेत को पलेवा करें जब भूमि जुताई योग्य हो जाए तब उसकी जुताई 2 बार मिटटी पलटने वाले हल से करें इसके बाद 2 बार कल्टीवेटर चलाएँ और प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं

खाद : गांठ गोभी की अच्छी उपज लेने के लिए  भूमि में कम से कम 35-40 क्विंटल गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद  50 किलो ग्राम नीम की खली और 50 किलो अरंडी की खली आदि इन सब खादों को अच्छी तरह मिलाकर खेत में बुवाई से पहले इस मिश्रण को समान मात्रा में बिखेर लें  इसके बाद खेत में अच्छी तरह से जुताई कर खेत को तैयार करें इसके उपरांत बुवाई करें .

रोपाई के 15 दिनों के बाद वर्मी वाश का प्रयोग किया जाता है 
रासायनिक खाद का प्रयोग करना हो  120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रयोग करना चाहिए.

प्रजातियाँ

अगेती किस्मे :
इस वर्ग के अंतर्गत अर्ली व्हाईट , व्हाईट वियना किस्मे आती है .

पछेती किस्में :
इस वर्ग के अंतर्गत पर्पिल टाप , पर्पिल वियना , ग्रीज किस्मे आती है गांठ गोभी की प्रमुख दो उन्नत किस्मो का उल्लेख नीचे किया गया है .

व्हाईट वियना 
यह एक अगेती और कम बढ़ने वाली किस्म है इसकी गांठे चिकनी हरी और ग्लोब के आकार की होती है इसका गुदा कोमल और सफ़ेद रंग का होता है तनों और पत्ती का रंग हल्का हरा होता है इसकी बुवाई अगस्त के दुसरे पखवाड़े से अक्टूम्बर तक की जाती है यह प्रति हे.

पर्पिल वियना 
यह एक पछेती किस्म है इसके पौधों में पत्ते अधिक होते है पत्तों और तनों का रंग बैंगनी होता है इसकी गांठों का छिलका भी बैंगनी और मोटा होता है इसका गुदा हरापन लिए सफ़ेद रंग का और मुलायम होता है गांठों में रेशा देरी से बनता है इसके बीजों की बुवाई अगस्त के अंत से अक्टूम्बर तक की जाती है यह प्रति हे.

बीज बुवाई 

फूल गोभी की भांति इसकी पौध पहले पौधशाला में तैयार की जाती है लगभग 100 मीटर वर्ग क्षेत्र में उगाई गई पौध एक हे. भूमि की रोपाई के लिए पर्याप्त होती है इसका बीज पौधशाला में फसल के अनुसार मध्य अगस्त से नवम्बर तक बोया जाता है जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई फ़रवरी में की जाती है मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती के लिए पौधशाला में बीज बोने का समय निम्न प्रकार से है 

अगेती फसल - मध्य अगस्त 
पछेती फसल - अक्टूम्बर से नवम्बर 

बीज की मात्रा : गांठ गोभी के लिए प्रति हे. 1 - 1.5 किलो ग्राम बीज पर्याप्त होता है .

कैसे करें बीज बुवाई

पहले 200 से 300 ग्राम गौमूत्र  या नीम का तेल प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लेना चाहिए. इसके साथ ही साथ 160 से 175 मिली लीटर को 2.5 लीटर पानी में मिलकर प्रति पीस वर्ग मीटर के हिसाब नर्सरी में भूमि शोधन करना चाहिए. स्वस्थ पौधे तैयार करने के लिए भूमि तैयार होने पर 0.75 मीटर चौड़ी, 5 से 10 मीटर लम्बी, 15 से 20 सेंटीमीटर ऊँची क्यारिया बना लेनी चाहिए. दो क्यारियों के बीच में 50 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी नाली पानी देने तथा अन्य क्रियाओ करने के लिए रखनी चाहिए. पौध डालने से पहले 5 किलो ग्राम गोबर की खाद प्रति क्यारी मिला देनी चाहिए तथा 10 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश व 5 किलो यूरिया प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से क्यारियों में मिला देना चाहिए. पौध 2.5 से 5 सेन्टीमीटर दूरी की कतारों में डालना चाहिए. क्यारियों में बीज बुवाई के बाद सड़ी गोबर की खाद से बीज को ढक देना चाहिए. इसके 1 से 2 दिन बाद नालियों में पानी लगा देना चाहिए या हजारे से पानी क्यारियों देना चाहिए.

रोपाई 
जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाएँ तब उसकी रोपाई कर देनी चाहिए इसकी पौध की रोपाई करते समय पंक्तियों और पौधों की आपसी दूरी 25 और 15 से.मी. रखें जबकि कभी -कभी 20 गुणा 20, 20 गुणा 25, 25 गुणा 35 से.मी. पर भी रोपाई करते है .

सिंचाई 
पौध रोपण के तुरंत बाद सिचाई कर दें उसके बाद में एक सप्ताह के अंतर से, देर वाली फसल में १०-१५ दिन के अंतर से सिचाई करें यह ध्यान रहे कि फुल निर्माण के समय भूमि में नमी कि कमी नहीं होनी चाहिए .

कीट नियंत्रण

1) कैबेज मैगेट
यह जड़ों पर आक्रमण करता है जिसके कारण पौधे सूख जाते है .
रोकथाम 
इसकी रोकथाम के लिए खेत में नीम कि खाद का प्रयोग करना चाहिए .

2) चैंपा
यह कीट पत्तियों और पौधों के अन्य कोमल भागों का रस चूसता है जिसके कारण पत्तिय पिली पड़ जाती है .
रोकथाम 
इसकी रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा को गोमूत्र के साथ मिलाकर अच्छी तरह मिश्रण तैयार कर 750 मि. ली. मिश्रण को प्रति पम्प के हिसाब से फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें .

3) ग्रीन कैबेज वर्म 
ये दोनों पत्तियों को खाते है जिसके कारण पत्तियों कि आकृति बिगड़ जाती है .
रोकथाम 
इसकी रोकथाम के लिए  गोमूत्र नीम का तेल मिलाकर अच्छी तरह मिश्रण तैयार कर 500 मि. ली. मिश्रण को प्रति पम्प के हिसाब से फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें .

4) डाईमंड बैकमोथ
यह मोथ भूरे या कत्थई रंग के होते है जो 1 से. मी. लम्बे होते है इसके अंडे 0.8 मि. मी. व्यास के होते है इनकी सुंडी 1 से. मी. लम्बी होती है जो पौधों कि पत्तियों के किनारों को खाती है .
रोकथाम 
इसकी रोकथाम के लिए  गोमूत्र नीम का तेल मिलाकर अच्छी तरह मिश्रण तैयार कर 500 मि. ली. मिश्रण को प्रति पम्प के हिसाब से फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें.बीमारियों की रोकथाम के लिए बीज को बोने से पूर्व गोमूत्र , कैरोसिन या नीम का तेल से बीज को उपचारित करके बोएं .

5) आद्र विगलन 
यह रोग फफूंदी के कारण होता है जिसके कारण पौधा मर जाता है .

रोकथाम 
इसकी के लिए बीज को बोने पूर्व नीम का तेल, गोमूत्र या कैरोसिन से उपचारित करें .

6) ब्लैक राट 
यह रोग एक्सेंथोमोनास कैम्पेस्ट्रिस द्वारा होता है रोगी पौधों की पत्तियों पर अंग्रेजी के (V) के आकार भूरे या पीले रंग के धब्बे स्पष्ट दिखाई पड़ते है डंठल या जड़ के भीतरी भाग काले पड़ जाते है पत्ते धीरे-धीरे पीले पड़कर सुख जाते है .
रोकथाम 
इसकी के लिए बीज को बोने पूर्व नीम का तेल, गोमूत्र या कैरोसिन से उपचारित करें .

7) क्लब राट और सोफ्ट राट  
यह रोग फफूंदी के कारण होते है पौधा पतला, कोमल तथा उससे दुर्गन्ध आती है यह रोग स्नोबाल में अधिक लगता है .
रोकथाम 
गोभी वर्गीय फसलों को ऐसे क्षेत्र में नहीं उगाना चाहिए जिनमे इन रोगों का प्रकोप रहा हो और सरसों वाले कुल के पौधे को इसके समीप न उगाएँ .

कटाई 

जब फुला हुआ तना 5 - 8 से. मि. व्यास का हो जाए तब कटाई कर लेनी चाहिए देरी से कटाई करने से गांठों में रेखा बढ़ जाती है जिसके कारण उसकी अच्छी सब्जी नहीं बन पाती है.

उपज 

इसकी प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल उपज मिल जाती है.

English Summary: How to cultivate lentil cabbage
Published on: 10 October 2017, 09:17 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now