भारत देश में अमरूद एक बेहद लोकप्रिय फल है. इसे ‘गरीबों का सेब’ के नाम से भी जाना जाता है. अमरूद में विटामिन, आयरन, फास्फोरस समेत अनेक खनिज तत्व होते हैं. अमरूद की खेती में लागत काफी कम लगती है.
अमरूद की खेती का तरीका
जलवायु
अमरूद की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है. अमरूद की अच्छी पैदावार के लिए 15 से 30 सेंटीग्रेड तापमान की जरूरत होती है. इस पर मौसम के उतार-चढ़ाव का कोई असर नहीं होता है.
मिट्टी
आमतौर पर अमरूद की बागवानी किसी भी मिट्टी में की जा सकती है. परंतु बुलई दोमट मिट्टी इसकी पैदावार के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है. इसके लिए मिट्टी का पीएच 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
बुवाई
अमरूद की बुवाई फरवरी से मार्च या अगस्त से सितंबर महीने के बीच में की जाती है. अमरूद के खेत में बीजों की बुवाई के अलावा इसकी रोपाई से भी पैदावार की जा सकती है. रोपाई के दौरान पौधों को 6x5 मीटर की दूरी पर रखा जाता है, जिससे इसकी शाखाओं को फैलने के लिए अच्छी जगह मिल सके. आपको बता दें कि एक एकड़ खेत में लगभग 120 पेड़ों को लगाया जा सकता है.
खरपतवार नियंत्रण
अमरुद के पौधों के आस-पास कुछ अंतराल पर नियमित निराई- गुड़ाई करते रहें. रोपाई के लगभग पौधों 25 से 30 दिन बाद कही इसकी गुड़ाई करें. खरपतवार के नियंत्रण के लिए ग्रामोक्सोन को पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें. जब अमरुद के पेड़ बड़े हो जाएं, तो ट्रैक्टर की मदद से खेत में जुताई करें जिससे वहां पर मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएं.
खाद व उर्वरक
अमरूद के पौधौं के लिए तैयार गड्ढे में 300 से 400 ग्राम सड़ी गोबर की खाद डाल दें. इसके साथ ही इसमें नीम, रासायनिक खाद जैसे यूरिया और पोटाश का भी उचित मात्रा में उपयोग करें. पौधों में नाइट्रोजन 50 ग्राम, स्फुर 30 ग्राम और पोटाश को 50 ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से ही डालें.
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कमाई
आपको बता दें कि एक बार अमरूद के पौधों को उगाने के बाद यह 20 वर्षों तक फल देते रहते हैं. अमरूद के पौधों से प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन की पैदावार की जा सकती है. बाजार में अमरूद की काफी मांग रहती है. अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं तो प्रति हेक्टेयर अमरूद की बागवानी से आराम से 2 से 3 लाख तक की कमाई हर मौसम में कर सकते हैं.