Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 9 July, 2021 12:00 AM IST
Jamun

हम सभी ने अपने बचपन में जामुन जरूर खाए होंगे. यह देखने में काले और छोटे होते हैं, लेकिन आयुर्वेद की मानें, तो जामुन (Jamun) में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं. जैसे ही बरसात का मौसम शुरू होता है, वैसे ही बाजार में हर तरफ जामुन नजर आने लगते हैं, लेकिन फिर भी जामुन की व्यवस्थित बागवानी प्रचलित नहीं है.

फिलहाल, जामुन को यूरोपीय देशों में निर्यात करने की योजना बनाई जा रही है. जहां लोग इस तरह के दुर्लभ और विदेशी उत्पाद के लिए प्रीमियम मूल्य का भुगतान करने के लिए तैयार हैं. बता दें कि जामुन अधिकतर यूरोपीय बाजारों में एक दुर्लभ फल माना जाता है, लेकिन अगर इस फल के व्यवस्थित निर्यात को प्रोत्साहित किया जाए, तो उत्पादक और निर्यातक, दोनों इससे अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

सड़क के किनारे पाए जाने वाले जामुन की जानकारी  

आम तौर पर, जामुन को सड़क के किनारे पाए जाने वाले पेड़ों से प्राप्त होने वाली फलों की श्रेणी में रखा जाता है. यह एवेन्यू के पेड़ के रूप में भी जाना जाता था. इसके भविष्य को देखते हुए, लगभग 15 साल पहले आईसीएआर और सीआईएसएच ने शोध करना शुरू किया था, क्योंकि इसके बीज, पौधों के रूप में उगाये जाते रहे है और इसकी कोई मानक किस्में भी नहीं थीं. यह नहीं पता होता था कि पौधे मातृ वृक्ष के समान उच्च गुणवत्ता वाले फल देंगे या नहीं. नतीजतन, संस्थान की तरफ से जामुन की किस्मों, कटाई और छटाई की तकनीक पर शोध करना शुरू किया गया.

टिकाऊ खेती पर प्रश्नचिन्ह

सभी जानते हैं कि जामुन के फल तोड़ने के बाद जल्दी ही खराब हो जाते हैं, इसलिए इसकी टिकाऊ खेती के बारे में प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है. यदि बड़े पैमाने पर जामुन की खेती कर ली जाए, तो फल की अधिकता की वजह से खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में संस्थान ने जामुन से मूल्य वर्धित पदार्थों के विकास पर भी कार्य शुरू किया. इस तरह अधिक उत्पादन को प्रसंस्करण करके मूल्य वर्धित पदार्थ बनाए जा सकते हैं और फलों को खराब होने से बचाया जा सकता है.

प्री-मानसून बारिश में जामुन की भरमार

महाराष्ट्र और गुजरात में जामुन जल्दी तैयार हो जाते हैं, इसलिए प्री-मानसून में इसकी भरमार हो जाती है. ऐसे में किसान जामुन की तुड़ाई पहले कर सकते हैं. इस तरह दिल्ली के बाजार में जामुन की आपूर्ति की पूर्ति करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश का जामुन किसी से कम नहीं

अगर उत्तर प्रदेश के जामुन की बात करें, तो यह अन्य राज्यों से गुणवत्ता में कम नहीं है, लेकिन अन्य राज्यों को उनकी भौगोलिक स्थिति और जलवायु की वजह से ज्यादा लाभ मिलता है.

जामुन है सबसे महंगा स्वदेशी फल

जैसे ही जामुन का मौसम शुरु होता है, वैसे ही इसे बाजार में सबसे महंगा स्वदेशी फल माना जाता है. इसके मौसम में लोग एक किलोग्राम जामुन के लिए 300 रुपए देने से भी नहीं हिचकते हैं. भारत में जामुन एक आम फल है, लेकिन इसे यूरोपीय बाजारों में दुर्लभ माना जाता है. मगर मौजूदा समय में जामुन के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, इसलिए इसके निर्यात से लाभ कमाने के लिए इसकी खेती का विस्तार किया जा सकता है .

जामुन पर नया शोध

जानकारी के लिए बता दें कि वैज्ञानिकों ने 20 साल के अथक प्रयासों के बाद जामुन की जामवंत किस्म को विकसित किया है. इस किस्म की खास बात यह है कि इसके सहारे मधुमेह की रोकथाम की जा सकती है. यह एंटी ऑक्साइड गुणों से भरपूर होता है. दरअसल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबंधित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी लखनऊ के वैज्ञानिकों ने, करीब 2 दशकों के अनुसंधान के बाद जामवंत को तैयार किया है.

खेती से संबंधित हर विशेष जानकारी के लिए पढ़ते रहिएं कृषि जागरण हिंदी पोर्टल के लेख .

English Summary: foreigner will be able to taste of blue berries
Published on: 09 July 2021, 04:55 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now