किसान अपने खेत में बोई फसलों की अच्छी पैदावार के लिए कई प्रयास करता है, ताकि वह फसल की उपज से बेहतर मुनाफ़ा कमा सके. इसी कड़ी में किसान सब्जी और फूल की खेती के साथ अंगूर की खेती भी कर सकते हैं. अंगूर की मिठास किसानों को अच्छा मुनाफ़ा देकर उनकी आमदनी को दोगुना कर सकती है. अगर इसकी खेती 1 एकड़ में की जाए, तो साल में इसकी पैदावार से लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं. जानकारों का भी मानना है कि एक एकड़ में अंगूर की खेती से हर साल लगभग 6 से 7 लाख रुपये का मुनाफ़ा हो सकता है. अगर इस मुनाफ़े से खेती पर होने वाले खर्च को भी निकाल दें, तब भी किसानों को काफी बेहतर मुनाफ़ा मिलेगा.
अंगूर की खेती को चाहिए अनुकूल मौसम
इस खेती की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए मौसम का अनुकूल होना बहुत जरूरी है. बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक में अंगूर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. अगर किसान चाहें, तो हरे अंगूर के साथ-साथ काले रंग अंगूर की खेती भी कर सकते हैं. इसकी कुछ किस्मों की क्वालिटी इतनी अच्छी होती है कि अंगूर में मिठास ही मिठास भर देती है. इसके चलते देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अच्छी मांग बनी रहती है. दुनियाभर में लगभग 10 अंगूर उत्पादक देश हैं, जिनमें भारत का नाम भी शामिल है.
राष्ट्रीय उद्यान विभाग के मुताबिक, इसकी खेती गर्म और शुष्क जलवायु में की जाती है. बता दें कि अगर किसान फसल की ड्रिप सिंचाई करें, तो पानी की बचत भी की जा सकती है. इसकी खेती के लिए तापमान 25 से 32 डिग्री का होना चाहिए.
इस किस्म की विदेशों में मांग
बागवान जानकारों का कहना है कि अंगूर की फसल साल में एक बार ही आती है. इस फसल को तैयार होने में लगभग 110 दिन का समय लगता है. अगर एक एकड़ खेत में अंगूर की पैदावार की बात करें, तो लगभग 1200 से 1300 किलो अंगूर प्राप्त हो जाते हैं. बता दें कि देश से विदेशों में अंगूर की थामसन किस्म की मांग बनी रहती है.
बाग में बाड़ लगाकर खेती
बागवान जानकारों की मानें, तो अंगूर की खेती को बाग में बाड़ लगाकर करनी चाहिए. इस तरह इसकी पैदावार अच्छी होती है. अगर किसान चाहें, तो बाग में लोहे के एंगल या लकड़ी के बांस पर जाल तैयार कर सकता है. बाग में बाड़ को तैयार करने के बाद लाइन से अंगूर के पौधे लगाएं. बता दें कि इन लाइन से लाइन की दूरी लगभग 9 फीट की होनी चाहिए. इसके साथ ही एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 5 फीट की रखें. इस तरह पौधे बांस या लोहे के एंगल के सहारे से ऊपर चढ़कर तारों के जाल पर फैल जाते हैं. ध्यान दें कि पौधों की कटिंग साल में 2 बार कर देनी चाहिए. किसान ध्यान दें कि इसकी खेती शुरू करने से पहले उद्यानिकी विशेषज्ञ से इसकी सारी अहम जानकारियां ले लेनी चाहिए.
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