अगर आपको तितलियां पसंद हैं और आप चाहते हैं कि आपके घर के लॉन और आंगन में तितलियों का बसेरा हो, तो इसके लिए बहुत सारे फूल पौधों की जरूरत नहीं है. जी हां, आपको इसके लिए सिर्फ एक पौधा लगाना ही काफी होगा.
इस पेड़ का नाम बडलेआ एजियाटिका है, जिसे तितली प्लांट के नाम से भी जाना जाता है. यह पेड़ आपकी मुराद को पूरा कर सकता है. बता दें कि उत्तराखंड की आबोहवा को बडलेआ एजियाटिका खूब रास आ रही है. भीमताल के बटरफ्लाई शोध संस्थान में इस पेड़ पर सैकड़ों तितलियों ठहरने लगी हैं.
कब लगाएं ये पेड़ (when to plant this tree)
तितली प्लांट फरवरी व मार्च में फूलों से लद जाता है. यही वह समय होता है, जब सैकड़ों तितलियां इस पेड़ की ओर आकर्षित होती हैं. खास बात यह है कि यह पेड़ कई रंगों में पाया जाता है, साथ ही यह एक विशेष प्रकार की गंध रखता है.
वैज्ञानिकों की मानें, तो भीमताल में इस पेड़ की सफेद रंग की प्रजाति रिकार्ड की गई है. इस पर फरवरी व मार्च में फूल आते हैं, तो वहीं इस पेड़ की नीले रंग की फूलों वाली प्रजाति नैनीताल सरीके ठंडे वातावरण में पाई गई है.
पर्यटन होगा विकसित (Tourism will develop)
यहां इस पेड़ में बारिश के मौसम में फूल आते हैं. इस पेड़ की लंबाई 10 फुट तक हो सकती है. इस पेड़ को लेकर संस्थान में काफी उत्साह है. वैज्ञानिकों का कहना है कि भीमताल में इस पेड़ को अधिक से अधिक संख्या में उगाया जाएगा.
इसके साथ ही एक विशेष प्रकार का पर्यटन विकसित किया जाएगा.
जर्मनी में किस नाम से जाना जाता है पेड़ (What is the tree known by in Germany)
इस पेड़ को जर्मनी में श्मेटरलिंगस्फलेडर नाम से जाना जाता है. इसका मतलब तितली के पेड़ से है. स्मैटाचैक के अनुसार, यह पेड़ तितली की सैकड़ों प्रजाति को आकर्षित करता है फिर भी इस पेड़ के बीज नहीं बनते हैं. इस पेड़ को सिर्फ कटिंग कर ही लगाया जाता है. बता दें कि इसकी कटिंग नवंबर में की जाती है. यह पेड़ चारे के भी काम नहीं आता है.
बटर फ्लाई शोध संस्थान का कहना है कि लाखों वर्ष पहले से जो तितली सड़े हुए फलों का रस पीती थी, अब वह फूलों पर बैठने लगी हैं. इसका कारण यह है कि जंगलों में पदम ,जामुन, खडक़, कीमू के पेड़ों के कम हो गए हैं, जिससे फलों पर बैठने वाली तितली फूलों पर बैठने लगी हैं. बता दें कि वैस्टर्न कोटियार, बैंडेड ट्री बाउन, ब्लैक राजा, समेत करीब 10 प्रजातियां ऐसी हैं, जो सड़े हुए फलों को छोड़कर फूलों के पेड़ों में बैठ रही हैं.