अल्फांसो आम से जुड़ी एक अच्छी खबर सामने आ रही है. तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में इसकी खेती की जा रही है. इससे ना सिर्फ इस जिले को आस-पास के क्षेत्रों में सम्मान प्राप्त हो रहा है, बल्कि जिले के किसान अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं.
तमिलनाडु के लिए क्यों खास है अलफांसों
अलफांसों की खेती तमिलनाडु जैसे राज्यों के लिए खास होने के साथ-साथ अनोखी भी है. यह आम की खेती आम तौर पर केवल गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में की जाती है. दक्षिण के क्षेत्र इसके लिए उपयुक्त नहीं माने जाते हैं.
कैसे हो रही है खेती
इस क्षेत्र में इसकी खेती करने के लिए सबसे जरूरी है कीट प्रबंधन करना. किसान कुरुम्पाट्टी खुद भी इस बात को मानते हैं कि जल प्रबंधन के साथ ही कीट प्रबंधन के सहारे ही अलफांसो की खेती संभव हो सकी है. आज के समय में यहां से लगभग हर साल 80 एकड़ से 120 टन अल्फांसो आमों का उत्पादन हो जाता है.
सिंचाई का है मुख्य योगदान
यहां के एक किसान एस.टी. बास्कर कहते हैं कि तकनीकी कारकों को ध्यान में रखते हुए जल प्रबंधन के साथ ही सिंचाई का ख्याल रखना जरूरी होता है. बेहतर सिंचाई सुव्यवस्थित तरीकों से की जाए, इसके लिए 3.5 लाख लीटर की क्षमता वाला एक भू-स्तर का निर्माण किया गया है.
काम आ रहा है ड्रिप नेटवर्क
अलफांसो की खेती में ड्रिप नेटवर्क काम आ रहा है. महाराष्ट्र से लाए गए इन आम के पौधों के मध्य 15 फीट का अंतर रखा गया है. कीटनाशकों के लिए नीम का उपयोग किया जाता है. इसकी खेती शून्य-उर्वरक कार्बनिक तकनीक के माध्यम से की जाती है.
आम की है खास मांग
दक्षिण में भी आम की खास मांग है. यहां के किसान बताते हैं कि फाइबर और विटामिन सी होने के कारण आम बैड कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करने में सबसे आगे है. इसके अलावा तमाम सौंदर्य सामग्री बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है, क्योंकि आम के गूदे को चेहरे के निखार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है.
इसी तरह अलफांसो आम में एंजाइम्स की भरपूर मात्रा होती है, जो प्रोटीन को आसानी से तोड़ने का काम करती है. इससे भोजन जल्दी पच जाता है और गैस की समस्या नहीं होती है. साथ ही इसमें उपस्थित सिट्रिक एसिड शरीर के लिए सेहतकारी है. किसानों ने बताया कि आम के कारण उनके क्षेत्र को विशेष पहचान मिल रही है.