ठंड का मौसम है, लोग खुद को सर्दी से बचाने के लिए हर वो कोशिश कर रहे हैं जो वो कर सकते हैं. इसीलिए इन दिनों गर्म कपड़ों की बिक्री ज़ोरों पर है, ख़ासकर ऊनी कपड़ों की, और ऊन मिलता है भेड़ से. भेड़ बड़े काम का जानवर है, इससे आपको न सिर्फ़ ऊन बल्कि दूध, मांस, चमड़ा भी मिलता है. आज हम बात करेंगे भेड़ पालन की.
भेड़ से होगा फ़ायदा-
हम जानते हैं कि पशुपालन कृषि का ही हिस्सा है. पशुपालन में तमाम चीज़ें आती हैं जैसे- भैंस, गाय, बकरी, भेड़, मुर्गी, बत्तख आदि. इनमें अगर आप बकरी पालन की सोच रहे हैं तो ये आपके लिए एक बढ़िया चुनाव होगा लेकिन अगर आपका बजट कम है तो आप भेड़ पालन भी कर सकते हैं. भेड़ पालन को बकरी पालन से कम ख़र्च में किया जा सकता है. भेड़ को पालने से आपको कमोबेश वही फ़ायदे मिलते हैं जो बकरी पालन से मिलते हैं. कई विशेषज्ञ तो ये भी मानते हैं कि भेड़ पालन में बकरी पालन से भी तगड़ा मुनाफ़ा है. भेड़ शाकाहारी जानवर है इसलिए इसके चारे में भी ज़्यादा ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है.
इतने में करें शुरू-
भारत सरकार की नेशनल लाइवस्टॉक योजना के तहत भेड़ पालन पर आपको 50 फ़ीसदी तक सब्सिडी मिल जाएगी. जानकारों की मानें तो क़रीब 1 लाख रुपये निवेश से आप ये बिज़नेस शुरू कर सकते हैं. अगर आपका बजट और भी कम है तो आप 2 या 4 भेड़ों से शुरूआत कर सकते हैं.
भेड़ से दूध, मांस, चमड़ा, ऊन तो मिलता ही है जिसको बेचकर अच्छा लाभ कमाया जा सकता है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि की उर्वरकता बढ़ाने के लिए भेड़ के मल को खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. भेड़ के मल को अच्छा खाद माना जाता है जिससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और उत्पादन अच्छा होता है. आप भेड़ों से मिलने वाले उत्पाद से पैसा कमाने के साथ ही भेड़ों को बेचकर भी कमाई कर सकते हैं. एक भेड़ बाज़ार में 5 से 10 हजार रूपये के बीच आसानी से मिल जाती है.
यह नस्ल है बढ़ियां-
यूं तो आप पालने के लिए किसी भी नस्ल की भेड़ को चुन सकते हैं लेकिन हम आपको एक ख़ास नस्ल अविशान के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां देसी नस्लों की भेड़ें साल में 1 ही बच्चा देती हैं वहीं अविशान नस्ल की भेड़ एक साल में 2 से ज़्यादा बच्चों को जन्म देती है. यही वजह है कि ज़्यादातर भेड़ पालक इस नस्ल को पसंद करते हैं. जानकार कहते हैं कि इस नस्ल का जन्म राजस्थान की नस्ल मालपुरा, गुजरात की पाटनवाड़ी और वेस्ट बंगाल की गौरोल नस्ल के संकरण से हुआ. देश के ज़्यादातर राज्यों में इस नस्ल की भेड़ों का पालन किया जा रहा है, चाहे वो महाराष्ट्र हो, गुजरात हो, मध्य प्रदेश हो, यूपी हो, हरियाणा हो, राजस्थान हो या कोई अन्य. शुष्क या अर्ध शुष्क जलवायु में भी इस भेड़ का पालन आसानी से किया जा सकता है. जबकि दूसरी नस्लों के लिए उनके मुताबिक़ अलग-अलग जलवायु की ज़रूरत पड़ती है.
यहां से पाएं अविशान नस्ल की भेड़-
केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान (Central Sheep and Wool Research Institute) ने पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए जलवायु अनुकूल अविशान नस्ल विकसित की है. अगर आप भी इस नस्ल का पालन करना चाहते हैं तो संस्थान को पत्र लिखें. जब भी इस भेड़ की यूनिट उपलब्ध होगी आपको मिल जाएगी.
इस नस्ल के अलावा मारवाड़ी, चोकला, सोनारी, जैसलमेरी, खेरी, पूगल, नाली नस्लों की भेड़ों का पालनल भी किया जाता है.
ख़रीदते समय रखें इन बातों का ध्यान-
अगर आप इस व्यावसाय में नये हैं तो भेड़ ख़रीदते समय इन बातों का आपको ज़रूर ध्यान रखना चाहिए, जैसे-
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भेड़ की उम्र 1 से 2 साल तक होनी चाहिए
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उसके 2 से 4 दांत होने चाहिए
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शरीर में खुजली न हो
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भेड़ों के प्रजनन की भी जांच ज़रूर करें, ऐसी भेड़ कतई न लें जो ब्याई न हो
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हमेशा स्वस्थ भेड़ चुनें
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भेड़ देखने में उदास न हो
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ये हैं प्रमुख संस्थान-
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केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, मालपुरा तहसील, टोंक जिला, (राजस्थान)
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भेड़ एवं ऊन प्रशिक्षण संस्थान, स्थित- जयपुर (राजस्थान)
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केन्द्रिय ऊन विकास बोर्ड, जोधपुर (राजस्थान)
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केन्द्रिय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला, बीकानेर (राजस्थान)