Success Story: किसानों की किस्मत बदल देगा राजाराम त्रिपाठी का यह सफल मॉडल, कम लागत में होगी करोड़ों की आमदनी! Coffee Growing Tips: कॉफी का पौधा इस तरह से लगाएं, मिलेगी 50 सालों तक पैदावार इस योजना के तहत 25000 पशुओं का होगा बीमा कवर, प्रीमियम राशि 49 रुपये, यहां जानें पूरी डिटेल खेती के लिए 32 एचपी में सबसे पावरफुल ट्रैक्टर, जानिए फीचर्स और कीमत एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 18 February, 2024 12:00 AM IST

Cow Fodder: खेती-किसानी हमारे देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ मानी जाती है. भारत में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी बड़े स्तर पर किया जाता है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां खेती के बाद पशुपालन दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है. किसान गाय-भैंस से लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में तरह-तरह के पशु पालते हैं. इन पशुओं के पालन के दौरान जो सबसे बड़ी समस्या पशुपालकों को पेश आती है, वो है पशुओं का चारा जुटाना. बढ़ती महंगाई के साथ पशुओं का चारा भी अब महंगा हो गया है. कहते हैं की चारे के रूप में पशुओं के लिए हरी घास सबसे बेहतर होती है. अगर पशुओं को खुराक में हरी घास दी जाए, तो उनकी दूध की मात्रा भी बढ़ जाती है. लेकिन, पशुपालकों के सामने समस्या यही है की इतनी सारी मात्रा में वे हरी घास कहां से लाएं?

किसानों और पशुपालकों की इसी समस्या का हल है, हाथी घास. अब आप सोच रहे होंगे की ये हाथी घास क्या है. तो आपको बता दें कि हाथी घास, जिसे नेपियर घास (Nepiyar Grass) कहा जाता है. एक प्रकार का पशु चारा है. यह तेजी से उगने वाली घास है और इसकी ऊंचाई काफी ज्यादा होती है. ऊंचाई में ये इंसानों से भी बड़ी होती है. इसी वजह से इसे हाथी घास कहा जाता है. पशुओं के लिए यह एक पौष्टिक चारा है. कृषि सेवा पर दी गई जानकारी के अनुसार, सबसे पहली नेपियर हाईब्रिड घास अफ्रीका में तैयार की गई थी. जिसके बाद ये अन्य देशों में फैली और आज कई देशों में इसे उगाया जा रहा है.

नेपियर घास को तेजी से अपना रहे लोग

भारत में यह घास 1912 के आसपास पहुंची थी, जब तमिलनाडु के कोयम्बटूर में नेपियर हाइब्रिड घास उत्पन्न हुई. दिल्ली में इसे 1962 में पहली बार तैयार किया गया. इसकी पहली हाइब्रिड किस्म को पूसा जियंत नेपियर नाम दिया गया. इस घास को साल भर में 6 से 8 बार काटा जा सकता है और हरे चारे को प्राप्त किया जा सकता है. वहीं, अगर इसका उत्पादन कम हो तो इसे फिर से खोदकर लगा दिया जाता है. पशु चारे के रूप में इस घास को काफी तेजी से अपनाया जा रहा है.

गर्म मौसम का सबसे बेहतर चारा

हाइब्रिड नेपियर घास को गर्म मौसम की फसल कहा जाता है, क्योंकि यह तेजी से बढ़ती है. खासकर तब, जब तापमान 31 डिग्री के आसपास होता है. इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त तापमान 31 डिग्री है, लेकिन 15 डिग्री से कम तापमान पर इसका उत्पादन कम हो सकता है. इस फसल के लिए गर्मियों में धूप और थोड़ी बारिश अच्छी मानी जाती है.

कैसे करें नेपियर घास की खेती?

नेपियर घास की उपज सभी प्रकार की मिट्टियों में हो सकती है. हालांकि, दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है. खेत की तैयारी के लिए एक क्रॉस जुताई हार्रो से और फिर एक क्रॉस जुताई कल्टीवेटर से करना सही रहता है. इससे खरपतवार पूरी तरह खत्म हो जाते हैं. इसे अच्छे से लगाने के लिए उचित दूरी पर मेड़ बनाना चाहिए. इसे तने की कटिंग और जड़ों द्वारा भी लगाया जा सकता है. हालांकि अब ऑनलाइन भी इसके बीच मिलने लगे हैं. खेत में 20-25 दिन तक हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए. अभी जो समय है यानी बारिश के समय इसे लगाना आसान होता है.

पोषक तत्वों से भरपूर पशु चारा

पशुओं के चारे के लिए नेपियर घास बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. संकर नेपियर घास में क्रूड प्रोटीन 8-10 फीसदी, क्रूड रेशा 30 फीसदी और कैल्सियम 0.5 फीसदी होता है. इसके अलावा 16-20 फीसदी शुष्क पदार्थ, 60 फीसदी पाचन क्षमता और 3 फीसदी औक्सालेट वाला यह चारा है. इस चारे को दलहनी चारे के साथ मिला कर पशुओ को खिलाना चाहिए. अपने खेतों के एक हिस्से में नेपियर घास लगा लेने से पशुपालक किसानों को चारे की टेंशन नहीं रह जाती है.

English Summary: What is elephant grass how to grow it benefits of elephant grass best animal fodder
Published on: 18 February 2024, 11:51 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now