Dairy Farming: देश में पशुपालन आज के समय में किसानों और ग्रामीणों के लिए एक मजबूत आमदनी का जरिया बन गया है. खासकर भैंस पालन तो ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. चाहे सर्दी की ठिठुरन हो या गर्मी की तपिश, भैंस की अनुकूलन क्षमता उसे हर मौसम में जीवित और सक्रिय बनाए रखती है. भारत में कई बेहतरीन नस्ल की भैंसें पाई जाती हैं जो अपने उच्च दूध उत्पादन और मजबूत शरीर के कारण किसानों की पहली पसंद बनती हैं. आइए जानते हैं भैंस की 5 प्रमुख नस्लों के बारे में जो पशुपालकों को मालामाल बना रही हैं.
1. मुर्रा भैंस
भैंसों की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध नस्ल है मुर्रा भैंस, जिसे 'काला सोना' भी कहा जाता है. इसका रंग गहरा काला होता है और यह हर प्रकार के वातावरण में आसानी से जीवित रहती है. मुर्रा भैंस मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाई जाती है.
- दूध उत्पादन: 15 से 18 लीटर प्रतिदिन
- कुछ भैंसें: 20 लीटर से अधिक भी देती हैं
- विशेषता: शुष्क वातावरण में भी अच्छा प्रदर्शन
इसकी अधिक दूध देने की क्षमता इसे व्यवसायिक पशुपालकों के लिए सबसे मुनाफे वाला विकल्प बनाती है.
2. सुरती भैंस
सुरती भैंस गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा जिले में पाई जाती है. इसका रंग भूरे से सिल्वर ग्रे तक होता है और इसका शरीर मध्यम आकार का होता है. इसकी सींग दराती के आकार की होती हैं जो इसे एक अलग पहचान देती हैं.
- दूध उत्पादन: 900 से 1300 लीटर प्रति ब्यात
- दूध में वसा: 8% से 12% तक
- विशेषता: वसा से भरपूर दूध देने वाली नस्ल
जो किसान दूध से घी और पनीर बनाकर अतिरिक्त कमाई करना चाहते हैं, उनके लिए सुरती नस्ल बहुत लाभकारी है.
3. जाफराबादी भैंस
जाफराबादी भैंस को देश की सबसे भारी भैंस नस्लों में से एक माना जाता है. यह मूल रूप से गुजरात के गिर जंगलों में पाई जाती है लेकिन अब इसका पालन कच्छ और जामनगर जिले में भी होता है.
- दूध उत्पादन: 1000 से 1200 लीटर प्रति ब्यात
- रंग: गहरा काला
- विशेषता: सिर और सींग का आकार काफी बड़ा, मजबूत शरीर
जिन इलाकों में गर्मी ज्यादा होती है वहां यह नस्ल बिना किसी दिक्कत के पाली जा सकती है.
4. मेहसाणा भैंस
मेहसाणा नस्ल की भैंस गुजरात के मेहसाणा जिले और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में पाई जाती है. इसका शरीर आकार में मुर्रा जैसा दिखता है लेकिन वजन थोड़ा कम होता है.
- दूध उत्पादन: 1200 से 1500 लीटर प्रति ब्यात
- रंग: काला या काले-भूरे मिश्रण वाला
- विशेषता: रेगिस्तानी और सूखे इलाकों में भी अच्छे से सर्वाइव करती है
जो किसान राजस्थान या गुजरात के सूखे क्षेत्रों में रहते हैं, उनके लिए यह नस्ल उपयुक्त है.
5. बन्नी भैंस
बन्नी भैंस गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पाई जाती है और इसे 'कुंडी भैंस' भी कहा जाता है. यह नस्ल गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम को आसानी से सहन कर सकती है. चारे की तलाश में यह भैंस लंबी दूरी तय करने में सक्षम होती है.
- दूध उत्पादन: 1100 से 1800 लीटर प्रति ब्यात
- रंग: गहरा काला
- सींग: अंदर की तरफ मुड़ी हुई
- विशेषता: चराई के लिए खुद निकल जाना
बन्नी भैंस की यही क्षमता इसे खुले चरागाह वाले इलाकों में बेहद उपयुक्त बनाती है.