गर्मी के मौसम में मछली पालन/Fish Farming से अच्छी आय प्राप्त करने के लिए उनके उचित रखरखाव की आवश्यकता है. यह विचार गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के फिशरीज कॉलेज के डीन डॉ. मीरा डी आंसल ने साझा किये. उन्होंने कहा कि मछली के तालाबों में पानी का स्तर लगभग 6 फीट रखा जाना चाहिए ताकि निचले हिस्से में पानी का तापमान उपयुक्त रहे. तालाब में ऑक्सीजन कम नहीं होनी चाहिए, जो आमतौर पर गर्मी के मौसम/Summer Season में सुबह के समय कम होती है, तालाबों में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने के लिए या तो एरेटर (पानी हिलाने वाली मशीनें) चलानी चाहिए या जानवरों या इंसानों को तालाबों में जाकर पानी को हिलाना चाहिए.
वही, मछली वाले तालाब का पानी खेतों में डालना चाहिए, जो कि फसलों के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके स्थान पर तालाबों में नया पानी डालना चाहिए.
मछली पालकों को इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है कि पानी में अम्लता या लवणता की मात्रा संतुलित बना रहे. इस मौसम में पानी में विभिन्न प्रकार के खरपतवार, घास आदि उग आते हैं या पानी में काई जम जाती है ऐसी वनस्पतियों को लगातार साफ करना बहुत जरूरी है. इससे पानी में अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड/ Carbon Dioxide गैसें बढ़ जाती हैं, जो मछली के स्वास्थ्य/Fish Health के लिए हानिकारक गैसें हैं. इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि मछलियों को उतनी मात्रा में ही खुराक दी जाए जितनी वो खा सकें. अतिरिक्त चारा तालाबों की तली में जमा हो जाता है, जिससे पानी में जहरीली तलछट बढ़ जाती है.
डॉ मीरा ने कहा कि सबसे अच्छी नीति है कि सावधानी बरतें और बीमारियों से बचें. पानी को साफ रखने के लिए विशेषज्ञों की राय के अनुसार चूना, लाल दवा या सीफेक्स का प्रयोग करना चाहिए. यदि कोई परेशानी हो तो किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.