नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 23 May, 2020 12:00 AM IST

भारत में ईमू पालन से पशुपालकों को बड़ा मुनाफा हो रहा है. इसका व्यापार मुख्य तौर पर दिल्ली, आंध्रा प्रदेश, कर्नाटक, तामिलनाडू जैसे राज्यों में लोकप्रिय है. इसके साथ ही महाराष्ट्र और केरला जैसे उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में इसका व्यापार किया जाता है. वसा रहित होने के कारण मीट के रूप में इसकी मांग अन्य पशुओं से अधिक है.इसके मीट में उच्च मात्रा में आयरन, प्रोटीन और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं. मीट के अलावा इनके तेल, त्वचा और पंखों काव्यापार भी होता है. एक प्रौढ़ ईमू की लंबाई 5-6 फीट हो सकती है, जबकि इनका भार 60 किलो तक हो सकता है. चलिए आज आपको हम ईमू पालन के बारे में बताते हैं.

ईमू पालन के लिए क्षेत्र

ईमू पालन का कार्य बड़ी आसानी से शेल्टर लगाकर किया जा सकता है. इसके पालन के लिए ऐसे क्षेत्र का चयन करें, जहां उचित मात्रा में ताजे और साफ पानी की उपलब्धता हो. क्षेत्र शहर से समीप ही हो, तो अधिक बेहतर है. इससे मजदूरों की उपलब्धता, आवाजाई प्रणाली आदि में आसानी होगी.ध्यान रहे कि ईमू को दौड़ने काशौक होता है, जो इसके विकास में सहायक भी है. इसलिए क्षेत्र का चुनाव खुली जगह वाला होना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक लगभग 50 बच्चों के लिए 50x30 फीट खुली जगह की जरूरत होती है.

छोटे बच्चों की देखभाल

ईमू के छोटे बच्चों की खास देखभाल करनी चाहिए. 1 दिन के ईमू का भार 450 ग्राम तक हो सकता है. नए जन्में बच्चे को सूखने के लिए 3 दिन तक इन्क्यूबेटर में रखना जरूरी है. उसके बाद बच्चों को 3 सप्ताह के लिए ब्रूडर में रखना चाहिए.

चारा

इनको खाने में उचित मात्रा विटामिन ए, विटामिन बी12, विटामिन डी वाला भोजन देना चाहिए. वैसे इस बात का भी ख्याल रखें कि हर ईमू की खुराक एक समान नहीं होती, इसलिए विशेषज्ञों से सलाह लेकर ही चारे का प्रबंध करें.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

ये खबर भी पढ़े : सुजात को पालने का सही तरीका, जानिए कैसे करें गाभिन बकरी की देखभाल...

English Summary: this is How you can Start Emu Farming in minimum investment
Published on: 23 May 2020, 01:25 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now