Weather Update: आज इन 7 राज्यों में होगी बारिश, IMD ने जारी की चेतावनी, जानें आपके शहर का मौसम पूर्वानुमान! महिंद्रा फार्म इक्विपमेंट बिजनेस ने सितंबर 2025 में दर्ज की 50% वृद्धि, घरेलू बिक्री 64,946 ट्रैक्टर तक पहुंची एनएचआरडीएफ द्वारा पांच दिवसीय मशरूम उत्पादन ट्रेनिंग प्रोग्राम का सफल समापन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 20 April, 2019 12:00 AM IST

भारत में गाय को पूजनीय माना जाता है. गाय के दूध से लेकर, उसके मूत्र ( पेशाब ) और गोबर का एक अपना ही महत्व है. गाय के मूत्र, गोबर, दूध और घी में बहुत सारे तत्व पाये जाते है इस बात की वैज्ञानिक मान्यता भी मिली है.  गाय के महत्व को देखते हुए ही भारत के ग्रामीण परिवेश में, घर के एक सदस्य के तौर पर देखा जाता है और दुधारू पशुओं में उसे एक अलग पहचान मिली हुई है. इसीलिए भारत में  सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर गाय को जो स्थान प्राप्त है वह विश्व के किसी और देश में नहीं. गाय की माता की तरह पूजा की जाती है. गाय के वैज्ञानिक महत्व के कारण ही दुनिया के दूसरे देश भारत की गायों को अपने देश में ले जाकर व्यावसायिक महत्व को अधिक प्रमुखता दे रहे हैं. ब्राज़ील देश भी ऐसे ही देशों की सूची में से एक है. जिसने सदियों पहले भारत की गायों को ब्राज़ील ले जाकर एक उच्च स्थान प्रदान किया है. वहां जिन गायों के कंधे पर कूबड़ निकला होता है उन्हें ज़ेबू कहा जाता है. और यहां गिर, साहीवाल, गुजरात में नेल्लोरे, सिंधी, के रूप में जाना जाता है.

जेबू गाय

जेबू गाय की एक नस्ल है जिसे एशियाई गाय भी कहा जाता है. इस नस्ल की पहचान इसके कंधे में चरबीदार कूबड़, लटके हुए कान और गलकम्बल से होती है. यह उच्च तापमान के लिए बहुत अनुकूलित होती हैं और समस्त उष्णकटिबन्धीय देशों में इनको दूध के लिए और खेत जोतने के लिए पाला जाता है. इसके अलावा जेबू  गाय की खाल और गोबर का इस्तेमाल ईंधन और खाद के लिए भी किया जाता है. भारत के अलावा कुछ और देशों में जेबू गाय को पवित्र पशुओं के श्रेणी में भी मान्यता प्राप्त हैं. भारत में भगवान इंद्र और शिव के प्राचीन मिथकों से भी जेबू जुडी हुई हैं. गाय की छवि प्रसिद्ध अशोक स्तंभों पर मंदिर बेस-रिलीफ और मूर्तियों पर भी पाई जाती है. बुल नंदिनी को बाल पालन और यौन ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. जेबू गायों को शुद्धता के प्रतीक के भी रूप में माना जाता है.

जेबू गाय की महत्ता

अर्थोपार्जन की दृष्टिकोण से अन्य गायों की तरह ज़ेबू गाय बहुत उपयोगी होती है.ये थोड़ा दूध देती हैं लेकिन दूध में पाई जानी वाली विटामिन की प्रचुरता के वजह से गायों की अन्य नस्लों में इनकी एक अलग ही पहचान हैं. इनका दूध फैटी नहीं होता है और इनके दूध का अलग ही स्वाद होता है. इनके बैलों का उपयोग भार ढोने के लिए भी किया जाता है, और उनके खाद उर्वरक और ईधन के लिए उपयोग किया जाता है.


ब्राज़ीलियाई ब्रीडर्स एसोसिएशन - ऐ बी सी जेड

ब्राज़ीलियाई ब्रीडर्स एसोसिएशन - ऐ बी सी जेड ने अपनी संस्था के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य  में 85 वें  जेबू एक्सपो का आयोजन 27 अपैल से 1 मई 2019 के लिए किया है. इस आयोजन को कवर करने के लिए ब्राज़ीलियाई ब्रीडर्स एसोसिएशन - ऐ बी सी जेड  ने  'कृषि जागरण एग्रीकल्चर वर्ल्ड’ को विशेष रूप से आमंत्रित किया है. ऐसे में 'कृषि जागरण'  'जेबू एक्सपो' के इस आयोजन को पूरा कवर करेगा. और समय - समय पर अपने फेसबुक पेज के पाठकों और कृषि जागरण किसान क्लब के सदस्यों को अपडेट देगा.

English Summary: The importance of Jabo Cow in India, the same in Brazil!
Published on: 20 April 2019, 04:56 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now