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Updated on: 28 December, 2020 12:00 AM IST
Tharparkar Cow

देश के विभिन्न राज्यों में गाय की कई नस्लों का पालन किया जाता है. गाय की हर नस्ल की संरचना अलग-अलग होती है और वह जलवायु के आधार पर विकास करती है. ऐसी ही गाय की एक नस्ल थारपरकर (Tharparkar Cow) है.

गाय की इस नस्ल की उत्पत्ति दक्षिणी सिंध पाकिस्तान के थारपरकर जिले से हुई है. यह नस्ल भारत पाक सीमा पर राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र से शुरू होकर गुजरात में कच्छ के रन तक पाई जाती है. इस नस्ल का विकास थार रेगिस्तान की जलवायु एवं अन्य परिस्थितियों के अनुरूप हुआ है. आइए आपको थारपरकर गाय (Tharparkar Cow) की विशेषताएं बताते हैं.

थारपरकर गाय की संरचना (Structure of Tharparkar Cow)

इस नस्ल की गायों की त्वचा का रंग सफेद या हल्का सलेटी होता है. इनका चेहरा और अंगों के शीर्ष गहरे रंग के होते हैं. इसके साथ ही बाल छोटे, खड़े एवं साफ होते हैं. बैलों में या नर गौवंश में माथे के ऊपर घुंघराले बाल होते हैं. इनका माथा चपटा, चौड़ा व हल्का सा आंखों के ऊपर उन्नत होता है. इनके सींगों का तल एवं चेहरे का तल समान होता है और सांड़ो में माथे का उन्नत भाग और अधिक उठा हुआ होता है. इनका चेहरा झुका हुआ साफ व थोड़ा सा गोलाई लिए होता है. इनका जबड़ा बहुत मजबूत होता है, तो वहीं आंखे गंभीर व शान्त प्रतीत होती हैं. इसके अलावा कान थोड़े से लंबे, चौड़े व हल्के होते हैं.

थारपरकर गाय का भोजन (Tharparkar cow food)

इस नस्ल की गायों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दी जाती है. आप फलीदार चारा खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें, ताकि अफारा या बदहजमी ना हो.

खुराकी वस्तुएं- मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, बड़ेवें, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, बड़ेवें, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, गुआरे का चूरा, तोरिये से तैयार खुराक, टैपिओका, टरीटीकेल आदि.

हरा चारा- बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी, और चौथी कटाई), लूसर्न (औसतन), लोबिया (लंबी ओर छोटी किस्म), गुआरा, सेंजी, ज्वार (छोटी, पकने वाली, पकी हुई), मक्की (छोटी और पकने वाली), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास आदि.

सूखा चारा और आचार- बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, मक्की का आचार, जई का आचार आदि.

थारपरकर गाय से दुग्ध उत्पादन (Milk production from Tharparkar cow)

इस नस्ल का पहला ब्यांत लगभग 1247 दिन में हो जाता है. इस गाय से दुग्ध उत्पादन 900 से 2600 किग्रा या औसतन 1750 किग्रा, जबकि पहला ब्यांत के बीच का अंतर 408 से 572 दिनों का रहता है. इसके दूध में वसा औसतन 4.9 प्रतिशत रहता है.

यहां मिल सकती है थारपरकर गाय (Dangi Cow Can Be Found Here)

अगर किसी को थारपरकर गाय खरीदना है, तो वह राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट https://www.nddb.coop/hi पर जाकर विजिट कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपने राज्य की डेयरी फार्म में भी संपर्क कर सकते हैं.

English Summary: Tharparkar will give good cow profits for cattle rearing
Published on: 28 December 2020, 03:51 IST

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