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Updated on: 15 January, 2019 12:00 AM IST

एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े जलाशयों में शुमार शारदा सागर जलाशय मत्स्य उत्पादन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहाँ 60 से अधिक देशी-विदेशी प्रजाति की मछलियों का उत्पादन होता है. इस जलाशय में पैदा होने वाली मछलियों का उत्पादन होता है. जिसकी वजह से यहां पैदा होने वाली मछलियों की पूरे देशभर में मांग होती है. ये जलाशय पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड के राजस्व का स्त्रोत है. हालांकि दूसरी बात यह भी है कि इससे उत्तराखंड के बड़े हिस्से में डैम पर अवैध कब्जे हो गए हैं.

60 दशक में हुआ था डैम का निर्माण        

इस महत्वपूर्ण डैम का निर्माण अविभाजित उत्तर प्रदेश में 60 के दशक में एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के जलाशय का निर्माण कराया गया था. इसकी खासियत यह है कि डैम की पूरी दीवारें मिट्टी की बनी हुई हैं. ये इस तरह का एशिया का इकलौता डैम है.

22 वर्गमीटर में फैला जलाशय

एशिया महाद्वीप में सबसे बड़े मिट्टी से बना शारदा सागर जलाशय करीब 22 वर्ग किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है. उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद इस जलाशय का सात किलोमीटर उत्तराखंड के हिस्से में आया था. ध्यान देने वाली सबसे बड़ी बात है कि डैम के बड़े क्षेत्रफल में अवैध कब्जे हो चुके हैं. बाकायदा उस जगह पर कई तरह की बस्तियां भी बस चुकी हैं.

प्रत्येक तीन वर्ष में मछलियों का ठेका

शारदा डैम में प्रत्येक तीन वर्ष के अंदर मछलियों का ठेका होता है. उत्पादन के हिसाब से देखें तो वर्ष 2015 से 18 तक मछलियों का ठेका 1.31 करोड़ का हुआ है. अब इन मछलियों के ठेके की अवधि को बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया है. वर्ष 2018 में यह ठेका 1.50 करोड़ रूपये हो गया जो कि वर्ष 2023 तक जारी रहेगा. खास बात यह है कि ठेके के मिल जाने से राजस्व का एक बड़ा हिस्सा क्षेत्रफल के आधार पर उत्तर प्रदेश को मिल जाता है.

डैम में 60 से अधिक मछलियों की प्रजाति

एशिया के इस महत्वपूर्ण डैम में मछली की 60 से अधिक देशी -विदेशी मछली की प्रजाति मौजूद हैं. इनमें रोहू, कतला, टैगर, सुईयां, नैनी, पकरा, बेकल, पाम आदि प्रमुख हैं. इन सभी प्रजातियों की मांग पूरे वर्ष भर देश में बनी रहती है. इनको यहीं से पूरे देशभर में अलग-अलग जगह पर सप्लाई किया जाने का कार्य किया जाता है. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी इन मछलियों की काफी मांग है.

English Summary: Sharda Sagar reservoir made the center of fishery production
Published on: 15 January 2019, 02:23 IST

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