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Updated on: 24 July, 2022 12:00 AM IST
Clean Milk Production

किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं. ताकि वह अपनी सभी जरूरतों को पूरा कर सकें. इस क्रम में सरकार भी इनकी पूरी मदद करती है. लेकिन पशुपालन में किसानों को कईं तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इन परेशानी में से एक स्वच्छ दूध का उत्पादन (clean milk production) भी है. आज के समय में पशुओं के स्वच्छ दूध की मात्रा कम होती जा रही है. जिससे पशुपालकों को अधिक मुनाफा नहीं मिलता है. अगर आप भी अपने पशु से स्वच्छ दूध का उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.

तो आइए स्वच्छ दूध उत्पादन प्राप्त करने की कुछ उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं...

  • स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए आवश्यक है कि दुधारू पशु निरोग तथा स्वस्थ हो. पशुओं के कई रोग ऐसे हैं, जो दूध के माध्यम से पशुओं से मनुष्य में फैलते हैं. अतः: केवल निरोग पशुओं को ही दूध उत्पादन के लिए प्रयोग करना चाहिए.

  • पशु की सफाई दोहन से कम से कम एक घंटा पूर्व करें. पिछले भाग को पानी से धोकर साफ करें. थन पर यदि बाल हैं, तो उन्हें काटकर छोटा करें. थन को कीटाणु नाशक घोल (disinfectant solution) से धोकर साफ तौलिए से पोंछ.

  • दुग्धशाला को प्रतिदिन दो बार धोकर साफ करें. दुग्ध दुहान से पूर्व गोबर आदि हटा कर रोगाणुनाशक घोल से दुग्धशाला की सफाई करें.

  • दूध दूहने में स्वस्थ एवं अच्छी आदतों के ग्वालों को ही लगायें. उनके कपड़े साफ, नाखून कटे हुए सिर टोपी से ढका हुआ हो तथा कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व हाथ रोगाणुनाशक घोल से धोयें जाने चाहिए. ग्वाले के लिए दोहन के समय बातचीत करना, थूकना, पान खाना, सिगरेट पीना तथा छींकना वर्जित रखें.

  • स्वच्छ दूध के उत्पादन में बर्तनों की सफाई का बड़ा महत्व है. दूध के प्रयोग में आने वाले बर्तन जोड़ रहित होने चाहिए. जोड़ पर सूक्ष्म जीवाणुओं का जमाव संभव है. ये बर्तन जंग रहित धातु से निर्मित होने चाहिए.

  • चारे में हनिकारक व तेज गन्धु युक्त खरपतवार नहीं होने चाहिए. भूसा या धूल युक्त चारा दूध निकालनने के पश्चात् ही खिलाएं. तीव्र गन्ध युक्त भोज्य पदार्थ जैसे साइलेज आहद पशु को दुग्ध दोहन से कम से कम एक घंटा पहले या दोहन के पश्चात् खाने को दें.

  • दूध दोहने  में पूर्ण हस्त विधि सर्वोत्तम है. चुटकी विधि तथा मुट्ठी में अंगूठा दबाकर दूध दोहने  की विधि पशु के लिए कष्टकारी है, जिनके इस्तेमाल में पशु को कष्ट होने के कारण उसका उत्पादन घटता है. पूर्ण हस्ता विधि में समस्त थन पर समान दबाव पड़ता है तथा पशु कष्ट की बजाय दूध निकलवाने में आराम महसूस करता है.

  • ग्वालों को दोहन के समय हाथों को सूखा रखना चाहिए. अपने हाथों पर झाग या पानी न लगाएं. हाथों को धोकर तथा पोंछकर दूध दुहे.

  • दूध दोहने के बाद पशु को कम से कम घंटे तक नहीं बैठने देना चाहिए.

  • दूध दोहने के लिए ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

English Summary: Necessary measures to achieve clean milk production
Published on: 24 July 2022, 05:28 IST

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