समय रहते अगर पशु के बीमार होने का पता चल जाये तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है. समय रहते बीमारी का पता चल जाए तो पशु जल्दी ठीक होता है. अगर पशुपालक कुछ बातों का ध्यान रखें तो बीमार पशु और उनकी बीमारी का पता लगाया जा सकता है. गौरतलब है कि पशुओं के बीमार होने पर जल्द और हर समय पशु चिकित्सक को बुलाना या पशु को पशु अस्पताल ले जाना संभव नहीं हो पाता है, इसलिए पशुपालकों या किसानों को पशुओं के व्यवहार के प्रति हरदम जागरुक रहना चाहिए. पशु के बीमार होने पर पशुपालक समझ नहीं पाते हैं जिससे बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है, और पशुपालकों को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है. कुछ बातों का ध्यान रखकर इस आर्थिक हानि से बचाव किया जा सकता है:
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पशु व्यवहार से उसके बीमार होने या ना होने का अनुमान लगाया जा सकता है. जैसे पशु अच्छे से खड़ा है कि नहीं, एक स्वस्थ पशु अपने सभी पैरों से आसानी से और स्थिर रूप से चलता है. लेकिन पैरों या किसी अंग में तकलीफ होने पर पशु लंगड़ाकर चलता है.
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जुगाली करने वाले पशु (Ruminant animals) की थूथन सूखी नहीं होती है. सामान्य पशु अक्सर अपनी जीभ से अपनी नाक चाटते हैं और थूथन को गीला रखते है, यदि ऐसा नहीं पाया जाता तो पशु चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.
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पशु के भोजन चबाने की रफ्तार सामान्य दिनों से कम हो या पशु अधूरा भोजन चबा रहा हो तो उसके दाँतो की जांच अवश्य करनी चाहिए. क्योंकि पशु के दांतों में दर्द की वजह से पशु ऐसा करता है.
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पशु अपने झुंड से यदि अलग खड़ा है तो यह पशु के बीमार होने का संकेत है. पशु के बीमार होने पर उसे उसे तुरंत चिकत्सा का प्रबंधन करें.
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पशु की नाक का बहना या सुस्त आंखें, मुंह से लार टपकना भी बीमारी का संकेत होती हैं।
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पशु के जल्दी खड़े नहीं होने पर पशु के बीमार या स्वास्थ्य समस्याएं होने का पता चलता है.
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स्वस्थ पशु भोजन को चाव से और अच्छी तरह खाता है तथा उसे भूख भी अच्छी लगती है. यदि पशु सही समय पर और पूरा भोजन नहीं करता तो पशु के बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है.
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स्वस्थ पशुओं का कोट साफ, चिकना और चमकदार होता है. बीमार पशु का कोट सुस्त दिखता है और बाल झड़ने लगते है.
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त्वचा पर सूखी झुरियां तथा त्वचा से बालों का हटना पशु की त्वचा संबन्धित रोग के लक्षण होते है.
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पशु का लगातार खांसना, पशु के गले में जलन या खरास का संकेत होता है.
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पशु के सांस लेने में तकलीफ और पेट का फूले हुआ होना आफरे (Aafra) का संकेत है.
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पशु अपने पेट पर लात मारता है या ज़ोर ज़ोर से आवाज करता है तो पशु के पेट में दर्द हो सकता है.
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पशु की नाड़ी या नब्ज पूंछ के आधार के नीचे से ली जाती है. एक वयस्क पशु की सामान्य दर 40-80 बीट प्रति मिनट होती है. भैंस में नाड़ी की दर 40-60 बीट प्रति मिनट होती है, और युवा पशु में नाड़ी की दर अधिक होती है.
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पशु के मल से भी पशु के बीमार होने का पता लगाया जा सकता है. जैसे यदि मल अधिक कठोर होना, अधिक पानीदार होना, अधिक दस्ते लगना या मल में खून का आना ये सभी संकेत पशु के बीमार होने के है.
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पशु मूत्र का सामान्य रंग हल्का पीला होता है. यदि गहरे पीले रंग का या खून से सना हुआ मूत्र आता है तो पशु के बीमार होने को दर्शाता है.
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जुगाली करने वाले पशु प्रतिदिन लगभग 6 से 8 घंटे तक जुगाली करते हैं. अगर पशु जुगाली करना कम या बंद कर देते हैं, तो ये संकेत पशु के बीमार होने के है.
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दुधारू पशु (dairy cattle) के दूध में खून आना या पशु के थनों का सूजना या पशु का दूध उत्पादन कम होना आदि लक्षण थनेला रोग (Mastitis) के लक्षण है.