Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 18 June, 2019 12:00 AM IST

हमारे देश में पशुपालन व्यवसाय की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है. अगर हम बात करे ऊंट पालन व्यवसाय की तो यह भी पशुपालन व्यवसाय का एक अहम भाग है. ऊंट को रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है. इसकी सवारी राजस्थान में काफी लोकप्रिय है. इसे राजस्थान का राज्य पशु भी कहा जाता है. लोग दूर -दूर से इसकी सवारी करने आते है. जिस तरह से अन्य राज्यों में लोग भैंसों और गायों को पालते है. उसी तरह से ही राजस्थान में भी ऊंट को पाला जाता है. जिस तरह से गाय, भैंसों और बकरी से दूध का उत्पादन किया जाता है ठीक उसी तरह से ऊंटनी से भी दूध उत्पादन काफी मात्रा में किया जाता है। गौरतलब है कि इसका दूध सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है.

ऊंट पालन का इतिहास

अगर ऊंट के इतिहास की बात करे तो इसका इतिहास राजतंत्र काल से भी पुराना है. लेकिन अब समय के साथ -साथ इसकी संख्या बहुत कम हो गई है. इसके आंकड़ों की बात करे तो वर्ष 2003 में हमारे देश में ऊँटों की संख्या 7 लाख से ज्यादा थी. फिर वर्ष 2007 में 4 लाख 98 हजार रह गई और 2012 में घट कर इसकी तादाद 4 लाख हो गई. अब इसका आंकड़ा 3  लाख तक पहुँच गया है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब इनकी प्रजाति विलुप्त हो जाएगी. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पहले के समय में ऊंटों का इस्तेमाल युद्ध के लिए होता था. फिर इसके बाद इनका उपयोग अन्य कामों में भी होने लगा जैसे - बोझा ढोना, कृषि कार्यों या फिर दूध उत्पादन के लिए भी किया जाने लगा.

ऊंट की मुख्य प्रजातियां

हमारे देश में मुख्य रूप से 9  से अधिक ऊंट की प्रजातियां मौजूद है. जो कि भारत के विभिन्न राज्यों  में है. जैसे-

राजस्थान - बीकानेरी, मारवाड़ी, जैसलमेरी, मेवाड़ी,जालोरी

गुजरात - कच्छी और खरई

मध्यप्रदेश - मालवी

हरियाणा - मेवाती

अगर बात करे इन सभी प्रजातियों के बारे में तो सबसे अहम बीकानेरी और जैसलमेरी प्रजाति है. इसके अलावा बात करे कश्मीर की तो वहां दो कूब वाला ऊंट पाया जाता है. जो कि पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है. हमारे देश में सफेद ऊँटों की संख्या 500 से भी कम रह गई. अब ये प्रजाति खत्म होने की कगार पर है. ऊंटों का विलुप्त होने का मुख्य कारण इनका कटान है, जो काफी तेजी से बढ़ रहा है. जिस कारण इन्हें बड़ी मात्रा में दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है. 

सरकार ने चलाई मुहीम

सरकार ने दूसरे राज्यों में ऊँटों के बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है. जिससे अब ऊंटों को दूसरे राज्यों में कटान के लिए नहीं भेजा जाएगा और वह सुरक्षित रहेंगे.  अब हर राज्य में ऊंट पालन को आगे बढ़ाने के लिए सरकार नई - नई योजनाएं बना रही है. इसके साथ ही ऊंट पालकों को अनुदान भी प्रदान कर रही है. ताकि ज्यादा मात्रा में ऊंट पालन हो सके. इसके साथ ही राष्ट्रीय ऊंट  अनुसंधान केंद्र बीकानेर के तहत ऊंटों के प्रजनन को आगे बढाने के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही है और इनको बचाने के लिए सरकार कई सोशल मीडिया कैम्पेन, प्रदर्शनी, डोक्युमेंट्री आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक भी कर रही है. इसके अलावा ऊंट के दूध का पूरा कलेक्शन सरकारी डेरी आरसीडीऍफ( RCDF) द्वारा किया जा रहा है.

सरकार द्वारा ऊंट पालन को बढ़ावा

सरकार ने अब इनके उत्थान और इनके पालन को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान ऊंट बिल पारित किया है. जिसके अंतर्गत अब ऊंट का सरकारी पंजीकरण(Registration) करवाना अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा सरकार ने ऊंट बीमा में भी बढ़ोतरी की है. इसलिए अब ऊंट पलकों को अपने ऊंटों का बीमा करवाना बहुत जरूरी है. 

ऊंट की जीवन शैली

आज के समय में ऊंट खेती में भी बहुत काम आने लगे हैं. खेतों की बुआई और सिंचाई में ऊंटों का उपयोग राजस्थान में लंबे समय से किया जाता रहा है. ऊंट सच्चे अर्थों में उपयोगी और सामान्यतया भोला पशु माना गया है. यह घास-फूस और पत्ते खाकर अपना जीवन यापन कर लेता है. एक रात में एक ऊंट 60-70 किलोमीटर की यात्रा तय कर लेता है. ऊंट के बारे में प्रसिद्ध है कि वह बहुत भोला जानवर है और यह सही भी है कि एक हजार में से 999 ऊंट सीधे और भोले होते हैं. विश्व में उपलब्ध कुल ऊंटों में से अकेले भारत में करीब तेरह-चौदह लाख ऊंट हैं. इसमें से करीब छह लाख ऊंट अकेले राजस्थान में हैं. राजस्थान में पाए जाने वाले बीकानेरी, जैसलमेरी और मेवाड़ी ऊंटों में बीकानेरी नस्ल सबसे अच्छी मानी गई है. ऊंट बहुत मेहनती होता है.

सरकार द्वारा वित्तीय सहायता

अगर आप ऊंट पालन शुरू करना चाहते है तो आपको ऊंट पालन शुरू करने से पहले से राज्य सरकार के पशुपालन विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना बहुत जरूरी है. जिसके लिए राज्य सरकार गर्भवती मादा ऊंटनी के रजिस्ट्रेशन पर 3 हजार रुपए प्रदान करती है. फिर जब उसका बच्चा एक महीने का हो जाता है तो फिर 3  हजार रुपए देती है और जब बच्चा 9 माह का हो जाता है तो सरकार 4 हजार रुपए देती है.

विपणन और बाजार

भारत के साथ - साथ बाकि देशों में भी इसकी मांग बहुत अधिक हैं हालांकि इसकी क्षेत्रीय मांग के अलावा विदेशों में भी इसके दूध का निर्यात होता है. अब तो अमूल ने भी ऊंट के दूध के विपणन के लिए सैद्धांतिक रूप पर हामी दे दी है. लेकिन अब सरकार ने ऊंटों के निर्यात पर प्रतिबंद लगा दिया है. इस व्यवसाय पर राष्ट्रीय ऊंट पालन अनुसंधान केंद्र ने कहा है कि “यह व्यवसाय किसानों के लिए काफी लाभप्रद है. जिससे किसान भविष्य में अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे. सरकार द्वारा ऊंट पालकों की सहायता के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे है. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का रुझान इस पालन की तरफ बढ़े.’’

 

 

English Summary: How to start Camel farming government will provide financial assistance
Published on: 18 June 2019, 10:39 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now