Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 24 December, 2018 12:00 AM IST

अगर आपको मछली पालन का गुर सीखना हो तो आप बिहार के पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज चले जाइए। यहां पर आनंद सिंह मछली पालन में दूसरों के लिए मिसाल बन चुके है। दरअसल आनंद 1.25 एकड़ तालाब में आठ माह में दो लाख रूपये से ज्यादा का मछली का उत्पादन कर चुके है। फिलहाल आनंद के तालाब में रोहू व कतला मछली की प्रजाति की करीब 10 क्विंटल मछलियां है। इन मछलियों की कीमत तकरीबन दो लाख रूपये होगी यानि कि साल में तकरीबन 3 लाख रूपये का मुनाफा। आनंद सिंह आधुनिक तकनीकों के सहारे मछली पालन में इस तरह के रिकॉर्ड कर नाम कमा रहे है।

तालाब को रखें साफ

मछलीपालन करने वाले आनंद बताते है कि पूरा उत्तरी बिहार मछली पालन के लिए उपयुक्त है। मछली से ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए किसानों को तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। चूंकि तालाब के पानी में मछलियों का मल-मूत्र ज्यादा हो जाता है जिससे तालाब में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है इसको कम करने के उपाय करने चाहिए।

अप्रैल में बाढ़ से हुआ नुकसान

उन्होंने कहा कि पिछले साल आई बाढ़ में आनंद के तालाब में सारी मछलियां बह गई थी। इसके बाद उन्होंने तालाब का पानी निकालकर उसमें सोलर पंप से शुद्ध पानी डाला। इसके बाद उन्होंने इसी साल अप्रैल से पंगेसियस मछली का जीरा डाला। इसी  साल उन्होने अक्टूबर में  45 क्विंटल पंगेसियस मछली की ब्रिकी कर तकरीबन दो लाख मुनाफा अर्जित किया। अब उनके तालाब में रोहू और कतला मछलियां करीब 10 क्विंटल तक हो गई है।

ऐसे किया मत्स्य पालन

मछलीपालन कर मुनाफा कमाने वाले आनंद बताते है कि कैसे उन्होंने मछली पालन कर लाखों का मुनाफा कमाया है। आनंद ने 1.25 एकड़ के तालाब को खाली करके 15 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट डाला है। इसके बाद  सोलर पंप से छह फीट तक उसके अंदर जल भरा। उसके बाद पंगेसियस मछली के 10 हजार जीरे डाले। मछलियों के 100 से 200 ग्राम के हो जाने पर 400 कतला और 200 रोहू के जीरे डाले। इसके अलावा अमोनिया गैस की मात्रा को घटाने के लिए प्रत्येक 15 दिन के अंदर सात से आठ किलो ग्राम जीयोलाइट को जल शुद्धिकरण में उपयोग किये। दो बार 25 किलोग्राम मिनरल मिक्चर का उपयोग किया। तालाब में प्राकृतिक भोजन की मात्रा बनाए रखने (प्लांटन) के लिए गोबर, ङ्क्षसगल सुपरफास्फेट, यूरिया और दो किलोग्राम सरसों की खली का घोल प्रत्येक 15 दिनों में इस्तेमाल किया है।

जिला विभाग कर रहा तारीफ

जिले के मत्स्यपालन पदाधिकारी श्रीवास्तव ने कहा कि आनंद ने मछली पालन में बेहतर तकनीक का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि आनंद से जिले के अन्य मत्स्य पालकों को सीख लेनी चाहिए ताकि वे बेहतर उत्पादन कर सकें।

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: Fisheries fishery using modern techniques, preferring to others
Published on: 24 December 2018, 04:36 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now