सर्दी के मौसम में पशुओं के रहन-सहन और आहार में ठीक तरह से प्रबंधन की जरूरत होती है. ठंड के मौसम का पशुओं के स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. ऐसे में पशुओं को प्रोटीन, खनिज तत्व, पानी, विटामिन व वसा आदि से भरपूर पोषक तत्वों की जरूरत होती है. इसके अलावा सर्दियों में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से चलाए गए विशेष टीकाकरण अभियान के जरिए टीके भी लगवाने चाहिए.
कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन-
कार्बोहाइड्रेट से पशुओं के शरीर को ऊर्जा मिलती है. यह पशुओं को ठंड से बचाव में मदद करता है. गेहूं के भूसे, धान का पुआल, ज्वार, बाजरा, मक्के का भात एवं अनाज से पशुओं को भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट मिलता है. ठंड में पशुओं को शर्करा के लिये गुड़, गाजर, चुकन्दर आदि से युक्त खान-पान दिया जाना चाहिए, यह पशुओं में स्फूर्ति के साथ-साथ शक्ति भी पैदा करता है.
जुखाम से बचाव-
ठंड में पशुओं के नाक व आंख से पानी आने लगता है, उन्हें भूख कम लगती है और शरीर के रोएं खड़े होने लगते हें. इसके इलाज के लिए एक बाल्टी गरम पानी के ऊपर सूखी घास रख दें और रोगी पशु के चेहरे को बोरे ढ़क दें और उसका नाक व मुंह खुला रहने दें. फिर खौतले पानी पर रखी घास पर थोड़ा सा तारपीन का तेल गिराएं और पशु को इसका भाप लगने दें. इससे पशुओं को ठंड से राहत मिलेगी. इसके अलावा पशुओं को जूट से बने बोरे पहनाएं, जिससे उनका शरीर गर्म रहे. सर्दियों में पशुओं में खुरपका, मुंहपका तथा गलाघोटू जैसी बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर टीकाकरण कराते रहें.
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निमोनिया से बचाव-
ठंड के दिनों में विशेषकर बछड़े एवं बछड़ी निमोनिया के शिकार हो जाते हैं. निमोनिया होने पर पशुओं को बुखार हो जाता है और वह जुगाली करना छोड़ देते हैं. रोग ग्रसित पशुओं की आंख व नाक से पानी भी गिरने लगता है. पशुओं को निमोनिया से बचाने के लिए उन्हें घर में गर्म स्थानों पर रखना चाहिए. देर रात तक खुले में न रखा जाए और गर्म और धूप के मौसम में ही उन्हें नहलाना चाहिए. पशुओं के बांधने वाली जगह पर सफाई रखी जानी चाहिए तथा निमोनिया की शिकायत होने पर नजदीकी पशुचिकित्सक को संपर्क करना चाहिए.