ऊँट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है. हमारे देश में राजस्थान और दूसरे इलाकों में ऊँट से सामान इत्यादि को एक जगह से दूसरी जगह लाया और ले जाया जाता है. रेगिस्तानी इलाकों में ऊँट को सिर्फ बोझा ढोनेवाला ही बना कर रख दिया है. रेगिस्तानी आर्मी में ऊंटों का महत्व दिखता है. फिर भी ऊंटों को राजस्थान के कई जिलों में बलिदान के रूप में मारा भी जा रहा हैं. नतीजतन, राजस्थान में ऊंटों की जनसंख्या तेजी से घट गई है. पशुधन की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1997 में 668,000 ऊंट दर्ज किए गए जो 2003 में घटकर 498,000.
राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र (एनआरसी) बीकानेर, प्रयोगशाला पशुओं के साथ और सहयोग अनुसंधान कार्यक्रमों पर आधारित ऊंट के दूध की औषधीय और खाद्य मूल्य स्थापित करने के लिए अनुसंधान कर रहा है, ऊंट के दूध को कुछ उपापचयी रोगों के प्रबंधन के लिए मूल्यवान पाया गया है.
ऊँट को एक सम्मानजनक दर्जा मिले इसके लिए राजस्थान के ही ऊँट अनुसन्धान संस्थान ने ऊँट के दूध से कई तरह पदार्थ बनाये हैं और अब किसान ऊँट के दूध को बेच कर अलग से कमाई भी कर सकता है. अभी हाल ही में वैज्ञानिकों ने संस्थान में एक ऐसी बैठक का आयोजन किया जिसमें कईं नए व्यवसायिकों ने हिस्सा लिया.
वैसे यहाँ यह बता दें की ऊँट का दूध 45 दिन तक सुरक्षित रहता है. और मधुमेह की बीमारी से निजात पाने के लिए भी बेहतर होता है. इसका फायदा उठाते हुए "अमूल" ने ऊँट के दूध को बोतल बंद कर गुजरात में बेचना शुरू कर दिया है.
डेयरी कंपनी अमूल अब बाजार में ऊंटनी का दूध भी बेचने जा रही है. कंपनी ने अभी इसे गुजरात के कुछ शहरों गांधीनगर, अहमदाबाद और कच्छ के बाजार में उतारा है. इस प्रमुख डेयरी कंपनी ने कहा कि इस दूध को कच्छ क्षेत्र से प्राप्त किया गया है. ऊंट का दूध 50 रुपये की कीमत पर 500 मिलीलीटर की बोतलों में उपलब्ध होगा. इसे ठंडा रखने की आवश्यकता है क्योंकि यह दूध तीन दिन तक की पीने लायक रह पाता है.
अमूल ने इससे पहले ऊंटनी के दूध की चॉकलेट पेश की थी जिसे ग्राहकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. कंपनी ने कहा कि ऊंटनी के दूध को पचाना आसान है. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है. इसमें इंसुलिन जैसे प्रोटीन अधिक मात्रा में है जिससे यह मधुमेह के व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है.
अमूल का स्वामित्व सहकारी महासंघ गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के पास है. फेडरेशन के महाप्रबंधक आरएस सोढी ने बताया कि महासंघ के तहत आने वाली कच्छ की सरहद डेयरी ने शुरूआत में चार से पांच हजार लीटर ऊंटनी का दूध प्रतिदिन एकत्रित करना शुरू किया है. यह मात्रा बढ़ने पर इसे अन्य स्थानों पर भी लॉन्च किया जायेगा.