Biofloc Fish Farming: मछली पालन (Fish Farming) भारत में कृषि के बाद सबसे तेजी से बढ़ने वाला व्यवसाय बन रहा है. आधुनिक तकनीकों की मदद से अब इसे कम लागत में अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है. बायोफ्लॉक (Biofloc) तकनीक ऐसी ही एक नवीनतम पद्धति है, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक उत्पादन और कम खर्च सुनिश्चित करती है.
आइए कृषि जागरण के इस आर्टिकल में बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने के बारें में विस्तार से जानें.
क्या है बायोफ्लॉक मॉडल?
बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technology) एक आधुनिक मछली पालन पद्धति है, जिसमें पानी को बार-बार बदले बिना ही साफ और उपयुक्त रखा जाता है. इस तकनीक में जल में मौजूद जैविक अपशिष्ट (Organic Waste) को उपयोगी बैक्टीरिया द्वारा उपयोग में लाया जाता है, जिससे पानी में ऑक्सीजन की सही मात्रा बनी रहती है और मछलियों को पोषण भी मिलता है. यह तकनीक न केवल पानी की बचत करती है बल्कि मछलियों की वृद्धि दर भी बढ़ाती है.
बायोफ्लॉक तकनीक के प्रमुख लाभ
- कम पानी की खपत: पारंपरिक मछली पालन में पानी को बार-बार बदलना पड़ता है, लेकिन बायोफ्लॉक में यह जरूरत नहीं होती.
- कम लागत में अधिक उत्पादन: चूंकि इस तकनीक में जैविक अपशिष्ट का पुनः उपयोग किया जाता है, इसलिए मछलियों के लिए अतिरिक्त भोजन की लागत कम हो जाती है.
- तेजी से मछलियों की वृद्धि: पोषक तत्वों की अधिकता और बैक्टीरिया की मदद से मछलियां जल्दी विकसित होती हैं.
- कम जगह में अधिक उत्पादन: छोटे टैंकों में भी अधिक मात्रा में मछलियों का पालन संभव है.
- पर्यावरण के अनुकूल: जल संसाधनों की बचत और जैविक कचरे के पुनः उपयोग से यह तकनीक पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है.
बायोफ्लॉक फिश फार्मिंग के लिए आवश्यक चीजें
- एक अच्छा वाटर टैंक (2000-5000 लीटर की क्षमता)
- ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए एयर पंप और ब्लोअर
- बैक्टीरिया के विकास के लिए माइक्रोबियल कल्चर और कार्बन सोर्स
- पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए pH मीटर और टेस्टर
- उपयुक्त मछली की नस्लें (तिलापिया, कैटफिश, पंगास, रोहू आदि)
कैसे करें बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन?
- टैंक की स्थापना: एक अच्छी गुणवत्ता वाला वाटर टैंक चुनें और उसमें पानी भरें.
- बैक्टीरिया कल्चर तैयार करें: पानी में आवश्यक बैक्टीरिया और कार्बन स्रोत डालें, जिससे जैविक अपशिष्ट को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो सके.
- ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करें: पानी में ऑक्सीजन स्तर बनाए रखने के लिए एयर पंप का उपयोग करें.
- मछली का चुनाव करें: तिलापिया, पंगास जैसी मछलियों को इस तकनीक में पालना अधिक लाभदायक होता है.
- भोजन प्रबंधन: जैविक कचरे का पुनः उपयोग होने के कारण भोजन की मात्रा कम करनी पड़ती है. जरूरत के अनुसार ही मछलियों को भोजन दें.
- निरंतर निगरानी: पानी की गुणवत्ता और pH लेवल नियमित रूप से जांचते रहें.
बायोफ्लॉक तकनीक से होने वाली आमदनी
बायोफ्लॉक पद्धति से मछली पालन करने वाले किसानों का कहना है कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में यह 40-50% अधिक मुनाफा देता है. एक छोटे टैंक से 3-4 महीने में 200-500 किलोग्राम तक मछली का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे अच्छा खासा रिटर्न मिलता है.