सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 18 June, 2020 12:00 AM IST

किसान भाइयों अधिक दूध उत्पादन या अच्छे मीट के लिए आप बीटल बकरी को पाल सकते हैं. बीटल नस्ल की बकरियों अधिक दुधारू होने के साथ कम देखभाल के लिए भी जानी जाती है. एक समय में पंजाब और हरियाणा राज्यों में पायी जाने वाली ये बकरियां, अब लगभग हर राज्य  में देखने को मिलती है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

शारीरिक संरचना

इन बकरियों के शारीरिक संरचना से इन्हें बहुत आराम से पहचाना जा सकता है. इनकी टांगे लंबी होती है, जबकि इनके कान लटके हुए होते हैं. पूंछों की लंबाई कम और इनके सींग मुड़े हुए होते हैं. इनकी लंबाई लगभग 86 सैं.मी. तक हो सकती है.

दूध क्षमता

इनके दूध देने की क्षमता औसतन 2.0-2.25 किलो और प्रति ब्यांत में 150-190 किलो की हो सकती है. एक प्रौढ़ सेहतमंद नर बकरी का भार 50-60 किलो का हो सकता है, जबकि मादा बकरी का भार 35-40 किलो तक होता है.

भोजन

इस नस्ल को मुख्य रूप से ये चारा खाना पसंद होता है. आप इन्हें भोजन में फलीदार और गैर फलीदार, दोनो तरह का भोजन दे सकते हैं. पीपल, आम, अशोका आदि के पत्ते भी ये चाव से खाते हैं. इसके अलावा आप इन्हें जड़ वाले पौधे भी दे सकते हैं.

गाभिन बकरियों की देखभाल

गाभिन बकरियों की अच्छी देखभाल जरूरी है. इनकी अच्छी देखभाल के लिए 6-8 सप्ताह पहले ही दूध निकालना बंद कर देना चाहिए. इसके साथ ही इन्हें लगभग दो सप्ताह पहले किसी साफ कक्ष में रखना शुरू कर दें.

मेमनों की देखभाल

जन्म के तुरंत बाद मेमने को कुछ उपचार मिलने जरूरी है. सबसे पहले तो स्वच्छ सूखे कपड़े से उन्हें साफ करें. नाक, मुंह, कान पर विशेष ध्यान दें.

जन्म के बाद पिलाएं खीस

मेमने को जन्म के 30 मीनट बाद खीस पिलाएं. जन्म के बाद अगर उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो पिछली टांगों से पकड़ कर सिर नीचे की ओर रखें. इसके लेवे को टिंचर आयोडीन से साफ करें.

बीमारियां

इस बकरी को आम तौर पर कोकसीडियोसिस नाम की बीमारी होती है. विशेषकर छोटे मेमनों को ये बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है. इसके प्रभाव से डायरिया, डीहाइड्रेशन या तेजी से भार कम होने की शिकायत आती है. कभी-कभी बुखार भी होता है.

उपचार

5-7 दिनों में लिए एक दिन में बायोसिल दवाई दे सकते हैं. गर्मियों के दिनों में कक्ष को हवादार बनाएं रखें. साफ-सफाई का ध्यान रखें. स्थान पर नमी न होने दें.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

English Summary: beetal goat farming and profit know more about beetal goat and market demand
Published on: 18 June 2020, 11:58 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now