डेयरी पालन करने वाले या घरेलू पशु पालकों के लिए पशुओं को पालने से ज्यादा उनके लिए चारा आदि का प्रबंध करना है. रबी की फसलों में आप अपने पशुओं के लिए कई तरह के चारे की व्यवस्था कर सकते हैं. जो पशुओं का पेट तो भरेंगे ही साथ ही उनके दुग्ध उत्पादन की क्षमता भी बढ़ाएंगे. इसके लिए सबसे प्रमुख चारे में पराली से बना चारा, हरी घास का सूखा चारा और पशुओं को दिए जाने वाले विशेष आहार हो सकते हैं. डेयरी का काम करने वालों के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि वह इस तरह के चारे का प्रबंध चारे के रूप में पहले से ही कर के रखें.
इससे पशुओं में सभी तरह के पोषक तत्वों की पूर्ती तो होती ही है इसके साथ में दूध की कम होती मात्रा को भी रोका जा सकता है. तो चलिए इन चरों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
पराली बन सकता है चारा
पराली उत्तर भारत के किसानों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है. खरीफ सीजन के बाद किसान खेत साफ करने कि लिए अक्सर पराली को जला देते हैं. लेकिन किसान तथा पशुपालक पराली में मक्की, हरा चारा मिलाकर उसे चारे के रूप में संग्रहित करके रख सकते हैं. जिससे किसानों की समस्याओं का निपटारा तो होगा ही साथ में पशुओं की चारे की समस्या भी खत्म हो जाएगी.
हरी घास का सूखा चारा
सर्दियां शुरू होने से पहले पशुपालक हरी घास को काटकर सूखा कर तैयार कर लेते हैं. जो कि सर्दियों में पशु के चारे के लिए काम आता है. इसके आलावा पशुपालक इसे हरी घास में मिलाकार चारे के रुप में प्रयोग कर सकते हैं.
पशुओं के लिए विशेष आहार
सर्दियों में पशुओं को चारे के लिए दानों का मिश्रण अधिक मात्रा में दिया जाना चाहिए. पशुओं को अच्छी गुणवत्ता वाला सूखा चारा, बाजरा कड़बी, रिजका, सीवण घास, गेहूं की तूड़ी, जई का मिश्रण पशुओं को खिला सकते हैं, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी. इसके अलावा कुछ वक्त के बाद हरा चारा भी दिया जाना चाहिए, जिसमें सरसों चरी, लोबिया, रजका या बरसीम आदि को शामिल कर सकते हैं.
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इसके साथ ही गेहूं का दलिया, चना, खल, ग्वार, बिनौला आदि को रात को पानी में भिगोकर रख लें, फिर सुबह पानी में उबाल लें, फिर हल्का सा ठंडा करके आप पशुओं को खिला सकते हैं.