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Updated on: 29 April, 2020 12:00 AM IST

कोरोना वायरस के चलते ही सम्पूर्ण देश को 3 मई तक लॉकडाउन कर दिया गया है. इस लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था बिगाड़ रखी है. देश के पालनहार (किसान)  भी इस समय मुश्किल का सामना कर रहे हैं क्योंकि इस  लॉकडाउन  के कारण उनकी उपज बिक नहीं पा रही है या जो भी बिक रही है उसका भुगतान समय पर नहीं हो प रहा है. इससे पहले भी फरवरी और मार्च माह में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण भारी मात्रा में फसल क्षति हुई थी. हालांकि सरकार किसानों को ऐसी स्थिति से निकालने का प्रयास कर रही है लेकिन इसके विपरीत लॉकडाउन में किसानों की सरकार से क्या मांग है, चलिए जानते हैं .

किसानों का कहना है...

लखनऊ में फूल की खेती करने वाले एक किसान रामसेवक कहते हैं, “मंडी बंद है नुकसान तो है ही. दो बीघा फूल की खेती करते हैं. फूल तोड़कर कहां ले जाएं, ऐसे ही फसल सूख रही है. एक खेत को बनाने में लाख डेढ़ लाख की लागत आती है. सरकार की तरफ से गरीब आदमी को थोड़ी मदद मिल जाती तो बेहतर होता.”

लखनऊ के जिले मलिहाबाद के एक किसान का कहना है, “आंधी से भारी नुकसान हुआ है. हमारा बहुत सा आम गिर गया. कम से कम 50,000 का नुकसान हुआ. हर साल अमूमन आम की डेढ़ लाख रुपए तक बिक्री हो जाती थी. इस बार लॉकडाउन और आंधी की दोहरी मार पड़ेगी. बाहर आम नहीं जाएगा तो लोकल में बिकेगा और दाम सही नहीं मिलेगा.”

वहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में किसानों का कहना है कि तालाबंदी के बीच मजदूरों की कमी के कारण उनका नुकसान हो रहा है. एक किसान नाम न जाहिर करते हुए बताता है, "हमें कोई मजदूर नहीं मिल रहा है इसलिए हमारी फसल जो कटाई के लिए तैयार है वह खराब हो रही है".

वहीं मलिहाबाद के आम किसानों का कहना है कि वे कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण अपने व्यवसाय को लेकर चिंतित हैं. एक आम किसान, एम डी असलम कहते हैं, "पिछले साल की तुलना में फरवरी में बारिश के कारण फसल का 25% कम उत्पादन हुआ है. अब तालाबंदी के कारण मजदूरों की कमी है. सरकार हमें सुविधाएं प्रदान करे ताकि भारत और विदेशों में आम का परिवहन आसानी से हो सके."

English Summary: what are the distressed farmers of the country demanding from the government in lockdown
Published on: 29 April 2020, 09:12 IST

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