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Updated on: 18 October, 2022 12:00 AM IST
Subsidy on makhana popping machine

पौष्टिकता से भरपूर मखाने को लेकर बिहार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन चुकी है. राज्य को मखाने का गढ़ कहा जाता है. बिहार सरकार की कोशिशों से मिथिलांचल मखाना को भौगौलिक संकेतक (GI) टैग से नवाज़ा जा चुका है.

तमाम ख़ूबियों के बावजूद मखाने की खेती करना किसानों के लिए बेहद मेहनत और मुश्किल भरा काम है. किसानों के लिए इसे तालाब से निकालने के बाद प्रोसेस करना किसी चुनौती से कम नहीं होता. लेकिन अब बिहार सरकार किसानों को मखाना प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली पॉपिंग मशीन 50 फ़ीसदी ख़र्च पर ख़रीदने का मौक़ा दे रही है. इसके लिए सरकार सब्सिडी योजना चला रही है.

मखाना पॉपिंग मशीन क्या है?

दरअसल तालाब से मखाने को इकट्ठा करने के बाद उनका लावा बनाया जाता है. बीज से मखाने को बाहर निकालने की प्रक्रिया लावा कहलाती है. फ़िलहाल किसान किसी गर्म बर्तन में मखाने के बीज को भून-भून कर लावा निकालते हैं जिसमें काफ़ी समय और मेहनत दोनो लगती है. लेकिन मखाना पॉपिंग मशीन के ज़रिये ये काम बेहद आसानी से और कम समय में किया जा सकता है.

सरकार दे रही है एक से डेढ़ लाख तक की सब्सिडी-  

मखाना किसानों की समस्या को देखते हुए राज्य की जेडीयू-आरजेडी सरकार ने अब पॉपिंग मशीन ख़रीदने पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है. कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत पॉपिंग मशीन ख़रीद पर 50तक सब्सिडी दी जा रही है. सामान्य श्रेणी के जो किसान इस योजना के तहत पॉपिंग मशीन ख़रीदना चाहते हैं उन्हें सरकार की ओर से एक लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी वहीं अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को मखाना पॉपिंग मशीन ख़रीदने पर डेढ़ लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी. अगर आप भी मखाना किसान हैं तो ज़िला अधिकारी से संपर्क कर इस योजना का फ़ायदा ले सकते हैं.

बिहार के मखाने को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान-

बिहार सरकार की कोशिशों से यहां के मिथिलांचल मखाने को GI टैग से नवाज़ा गया है. जीआई यानि भौगौलिक संकेतक टैग मिलने के बाद ये कहा जा रहा है कि मखाने का कारोबार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 10 गुना तक बढ़ सकता है.

ये भी पढ़ें: जानिए, मखाना की खेती कैसे देगी लाखों की पैदावार

 

देश के कुल मखाना उत्पादन में बिहार की 90% हिस्सेदारी-  

भारत में क़रीब 15 हज़ार हेक्टेयर एरिया में मखाने की खेती होती है इसमें 80 से 90 फ़ीसदी उत्पादन अकेले बिहार में होता है. बिहार हर साल मखाने से 1 हज़ार करोड़ रुपये का बिज़नेस करता है. उम्मीद है कि GI टैग मिलने के बाद यह कारोबार 10 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.
 

English Summary: subsidy on makhana popping machine
Published on: 18 October 2022, 01:55 IST

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