बिहार के सहरसा जिले के किसानों के लिए पपीता की खेती एक सुनहरा अवसर बनकर उभरी है. कृषि विभाग ने जिले में पपीता की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत किसानों को 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है. यह योजना न केवल पारंपरिक खेती पर निर्भर किसानों को एक नया विकल्प प्रदान कर रही है, बल्कि आय को भी कई गुना बढ़ाने का अवसर दे रही है. सहरसा में अब तक 5 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पपीते की खेती का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें स्थानीय किसान बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं.
क्यों खास है पपीता की खेती?
पपीता एक बहुपयोगी और बहुप्रचलित फल है, जिसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है. यह फल न केवल ताजे फल के रूप में खाया जाता है, बल्कि इससे जैम, जूस, कैंडी और दवाइयों में भी उपयोग किए जाने वाले उत्पाद तैयार किए जाते हैं. इसकी खेती से किसानों को नियमित और स्थिर आय मिल सकती है. खास बात यह है कि यह फल तेजी से पकता है और साल भर इसकी खेती की जा सकती है, हालांकि सितंबर और अक्टूबर का महीना पपीते की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.
पपीता की खेती के लिए उपयुक्त जमीन
सफल पपीता उत्पादन के लिए भूमि की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. इस फसल के लिए हल्की दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली जमीन उपयुक्त मानी जाती है. पपीते की जड़ें नाजुक होती हैं, इसलिए पानी का ठहराव बिल्कुल नहीं होना चाहिए. उंची और समतल ज़मीन जहां बारिश के पानी का बहाव ठीक तरह से हो, वहां पपीते की खेती बेहतर तरीके से की जा सकती है. सहरसा की भूमि संरचना को देखते हुए यह क्षेत्र पपीते की खेती के लिए उपयुक्त पाया गया है.
कौन-सी वैरायटी दी जा रही है किसानों को?
सहरसा में किसानों को "रेड लेडी ताइवान" नामक पपीता की उन्नत किस्म उपलब्ध कराई जा रही है. यह वैरायटी न केवल अधिक उपज देने वाली है, बल्कि रोग प्रतिरोधी भी मानी जाती है. इसकी विशेषता है कि यह जल्दी फल देने लगती है और प्रत्येक पौधे से अच्छी संख्या में फल प्राप्त होते हैं. रेड लेडी ताइवान किस्म का फल आकर्षक रंग, आकार और स्वाद के कारण बाजार में काफी पसंद किया जाता है, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलने की संभावना होती है.
कितनी मिलेगी सब्सिडी और कौन उठा सकता है लाभ?
इस योजना के अंतर्गत कृषि विभाग द्वारा 75% तक की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे किसानों को बहुत राहत मिलती है. इसका उद्देश्य पपीते की खेती को प्रोत्साहित करना और लागत को कम करना है. यह सब्सिडी अधिकतम 4 एकड़ तक के क्षेत्र में दी जाएगी. इससे छोटे और मध्यम किसान भी इस योजना का लाभ उठाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं. सब्सिडी से जुड़े आवेदन और प्रक्रिया के लिए किसान अपने क्षेत्र के कृषि कार्यालय या उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं.
आय में कितना फायदा हो सकता है?
पपीता की खेती से किसानों की आमदनी में कई गुना वृद्धि देखी जा सकती है. एक एकड़ भूमि में यदि वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए, तो सालाना लाखों रुपये की आमदनी संभव है. एक पौधा लगभग 30-60 फल देता है और हर फल का बाजार मूल्य 20 से 40 रुपये तक होता है. यदि किसान पूरे ढांचे के साथ खेती करते हैं- जैसे सिंचाई व्यवस्था, जैविक खाद, समय पर कीटनाशक आदि तो उत्पादन और लाभ दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी होती है.
पपीता की खेती के अन्य लाभ
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जलवायु के अनुकूल: यह खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छे से होती है, जो सहरसा के वातावरण के लिए अनुकूल है.
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रोजगार के अवसर: खेती के साथ-साथ इसमें श्रमिकों की भी आवश्यकता होती है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है.
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उर्वरता में वृद्धि: पपीता की खेती से भूमि की उर्वरता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
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कृषि विविधीकरण: पारंपरिक फसलों से हटकर पपीते जैसी नकदी फसलों की ओर रुझान बढ़ रहा है, जो किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा देता है.