जुलाई 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि अवसंरचना कोष (Agriculture Infrastructure Fund- AIF) नामक एक नई अखिल भारतीय केंद्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दी थी. यह फंड फसल कटाई के बाद बुनियादी ढांचा प्रबंधन एवं सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों (Community Agriculture Assets) में निवेश करने के लिए मध्यम एवं दीर्घकालीन ऋण वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करती है.
सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के माध्यम से किसान फसल की कटाई के बाद उसकी सही कीमत मिलने तक उसे सुरक्षित रख सकेंगे. इस योजना की अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से 2029 (10 साल) तक निर्धारित की गई है. इस योजना का उद्देश्य उद्योगों एवं आधारभूत सुविधाओं (Basic infrastructure) के विकास हेतु लिए गए ऋण पर सब्सिडी और बैंक गारंटी के माध्यम से किसानों और कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमों को निवेश बढ़ाने और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
योजना का उद्देश्य (Objective of the AIF plan)
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इस योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में आधारिक तंत्र को मज़बूत करना है, जिससे देश के बड़े बाज़ारों तक किसानों की पहुंच सुनिश्चित की जा सके और साथ ही नवीन तकनीकों के माध्यम से फाइटोसैनेटिक मानडंडों (Phytosanitary norms) को पूरा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक भारतीय किसानों की पहुँच बढ़ाई जा सके.
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फसलों की कटाई के बाद अनाज के प्रबंधन हेतु अवसंरचना (Post-Harvest Management Infrastructure) का विकास करना.
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उपज को बढ़ाने के लिए सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों (Community Agricultural Assets) हेतु धन की उपलब्ध सुनिश्चित करना.
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लिए गए ऋण पर सब्सिडी और बैंक गारंटी के माध्यम से किसानों और कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमों को निवेश बढ़ाने और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता जाना.
एआईएफ़ योजना के मुख्य बिंदु (Key Points of AIF Scheme)
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इस योजना के तहत ऋण (Loan) पर ब्याज में 3% की छूट प्रदान की जाएगी साथ ही ऋण जारी करने वाली संस्था को दो करोड़ तक के ऋण पर बैंक गारंटी सरकार द्वारा दी जाएगी.
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इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्राथमिक कृषि साख समितियां (Primary Agricultural Credit Societies- PACS), विपणन सहकारी समितियां (Cooperative Societies), किसान उत्पादन संगठन (Farmer Producers Organizations), स्वयं सहायता समूह (Self Help Group), संयुक्त देयता समूह (Joint Liability Group), बहुउद्देशीय सहकारी समितियां (Multipurpose Cooperative Societies), कृषि उद्यमीयों, स्टार्टअप, एग्रीगेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स आदि पात्र होंगे.
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फसलों की कटाई के बाद अनाज के प्रबंधन हेतु अवसंरचना का विकास करना. जिसके तहत सप्लाई चैन, ई-बाजार, भंडार-गृह, साइलोस, पैक-हाउस, जींस गुणवत्ता हेतु लैब, सोर्टिंग-ग्रेडिंग इकाई, कोल्ड-चैन, लॉजिस्टिक सुविधा, राइपिंग चैम्बर आदि का विकास करना.
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इस योजना के तहत टॉप-अप प्रणाली के तहत दोहरे लाभ की सुविधा प्राप्त हो सकेगी यानि यदि किसी पात्र व्यक्ति को पहले से ही किसी अन्य योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त हो रही हो तब भी वह इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकेगा.
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इच्छुक व्यक्ति/संस्थान पोर्टल के माध्यम से ऋण के लिए आवेदन से पहले अलग-अलग बैंकों द्वारा प्रस्तावित ऋण दरों के बीच तुलना करके बेहतर निर्णय ले सकेंगे.
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सरकार और बैंकों के बीच किये गए MoU में निर्धारित है कि बैंक आवेदन के 60 दिनों के अंदर अपना निर्णय हितग्राही, ज़िला स्तरीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्र स्तरीय निगरानी समिति, नाबार्ड तथा वित्तीय सेवा विभाग के साथ साझा करेगा.
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नाबार्ड द्वारा वित्तीय सहायता देने के लिए किसान उत्पादक संगठन जुड़ी परियोजनाओं के चयन के पश्चात पोर्टल पर इसकी जानकारी साझा करेगा और नाबार्ड द्वारा धनराशि जारी करने के बाद ‘सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली’ (Public Financial Management System-PFMS) के माध्यम से सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेज दी जाएगी.
सम्पर्क सूत्र (For contact)
अधिक जानकारी हेतु नाबार्ड (राष्ट्रिय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) से संपर्क करें. या https://agriinfra.dac.gov.in/ या http://www.nhb.gov.in वेबसाइट पर जाकर जानकारी ले सकते हैं.