मध्य प्रदेश सरकार किसानों को आधुनिक खेती अपनाने और मेहनत कम करने के लिए लगातार नई योजनाएं ला रही है. इसी कड़ी में ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर अब किसानों को विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाएगा. सरकार ने हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर, श्रेडर/मल्चर, जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, बेलर, हे-रेक, स्ट्रॉ रेक और रोटावेटर जैसे उपकरणों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. यह आवेदन 2 सितंबर 2025 से शुरू हो चुका है.
किसानों को इन यंत्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और साथ में डिमांड ड्राफ्ट (DD) जमा करना अनिवार्य होगा. आवेदन केवल उन्हीं किसानों का स्वीकार होगा जिनका नाम बैंक खाते और आवेदन पत्र में समान होगा. बिना डिमांड ड्राफ्ट के आवेदन मान्य नहीं होगा. सरकार का उद्देश्य है कि किसान कम लागत में आधुनिक तकनीक अपनाएं और अपनी फसल उत्पादन क्षमता बढ़ाएं.
किन-किन यंत्रों पर कितना अनुदान मिलेगा?
-
हैप्पी सीडर – ₹45,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
-
सुपर सीडर – ₹45,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
-
स्मार्ट सीडर – ₹45,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
-
श्रेडर/मल्चर – ₹35,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
-
जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल – ₹10,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
-
बेलर – ₹1,50,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
-
हे रेक / स्ट्रॉ रेक – ₹50,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
-
रोटावेटर – ₹20,000 तक डिमांड ड्राफ्ट
योजना का लाभ कैसे मिलेगा?
-
किसान को आवेदन ऑनलाइन करना होगा.
-
आवेदन के साथ निर्धारित राशि का डिमांड ड्राफ्ट संलग्न करना अनिवार्य है.
-
यह राशि सहायक कृषि यंत्री के नाम पर जमा होगी.
-
सत्यापन के बाद योग्य किसानों को अनुदान का लाभ मिलेगा.
-
आवंटन प्रक्रिया लक्ष्य और प्राप्त आवेदनों की संख्या के आधार पर की जाएगी.
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक खेती के लिए आवश्यक यंत्र उपलब्ध कराना है. इन उपकरणों के इस्तेमाल से खेत की तैयारी में समय और मेहनत दोनों की बचत होगी. जैसे कि -
-
हैप्पी सीडर और सुपर सीडर धान की कटाई के बाद गेहूं की सीधी बुवाई में मदद करेंगे.
-
मल्चर और बेलर खेतों से अवशेष हटाने और प्रबंधन में सहायक होंगे.
-
जीरो टिल सीड ड्रिल से बिना जुताई के बुवाई संभव होगी, जिससे लागत घटेगी और मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी.
किसानों को होने वाले फायदे
-
आधुनिक यंत्र मिलने से खेती की लागत कम होगी.
-
समय की बचत होगी और पैदावार में वृद्धि होगी.
-
फसल अवशेष प्रबंधन बेहतर होगा और पराली जलाने की समस्या घटेगी.
-
छोटे और सीमांत किसान भी आसानी से आधुनिक खेती कर पाएंगे.