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Updated on: 12 April, 2020 12:00 AM IST

कोरोना वायरस के संक्रमण को जल्द से जल्द रोका जा सके, इसके लिए देशभर में लॉकडाउन लगाया गया है. इस कारण देश की अर्थव्यवस्था भी बिगड़ती जा रही है, क्योंकि इस वक्त सभी आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगी हुई है. अगर साफ शब्दों में कहा जाए, तो कोरोना संकट की वजह से देश के हर राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है. कई लोग बेरोजगार हो गए हैं, तो वहीं गरीब और दिहाड़ी मजदूरों के पास खाना के पैसे तक नहीं बचे हैं. इस संकट के चलते देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्री से लॉकडाउन को लेकर चर्चा की. इस चर्चा में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने पक्ष सामने रखे हैं. पीएम मोदी से 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ने की मांग की गई. इसके साथ ही गरीबों और किसानों के लिए एक खास योजना की शुरुआत करने का सुझाव दिया.

केंद्र सरकार लागू करे ये नई योजना

आपको बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि लॉकडाउन की वजह से कचरा बीनने वाले, रिक्शा चलाने वाले, समेत अन्य असहाय लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में भारत सरकार को “काम के बदले अनाज” योजना को चलाना चाहिए.

कब लागू हुई थी योजना

काम के बदले अनाज योजना को साल 2002 में लागू किया गया था. यह योजना तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय लाई गई थी. तब देश में अकाल-सूखे के समय चल रहा था. उस वक्त यह योजना बहुत लोकप्रिय और सफल साबित हुई थी. ऐसे में माना जा रहा है कि इस योजना को पुनः नए रूप में लाना चाहिए. इससे देश के गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों को काफी राहत मिल पाएगी.

इतने समर्थन मूल्य पर खरीदी जाए उपज  

रबी फसलों की कटाई के बाद उपज बिक्री के लिए बाजार में आने को तैयार हैं. ऐसे में पीएम मोदी को सुझाव दिए गए हैं कि किसानों से इस बार 50 प्रतिशत तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाए. बता दें कि पीएम आशा योजना के तहत उपज का 25 प्रतिशत हिस्सा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है. अभी इसको अपर्याप्त माना जा रहा है, इसलिए किसानों से इस समय 50 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाए. इससे किसानों को काफी राहत मिल पाएगी.  

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English Summary: Modi government can start food grain scheme
Published on: 12 April 2020, 08:26 IST

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