हरियाणा में धान की खेती के चलते लगातार भू-जल स्तर( water level) कम हुआ है. लेकिन अब इस मुद्दे को लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है और किसानों को धान की खेती को छोड़ कर दूसरी फसल अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है. इसके लिए सरकार की तरफ से मेरा पानी मेरी विरासत योजना भी चलायी जा रही है.
जिसमें अभी तक 800 किसान आवेदन करा चुके हैं. 800 किसानों का रजिस्ट्रेशन करने का मतलब यह है कि 900 एकड़ में इस बार धान की फसल नहीं की जाएगी. सरकार के द्वारा यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसान आसानी से धान की खेती को छोड़ अन्य चीजों को उगाने की पहल करें.
धान की बुवाई भी है इसी योजना का हिस्सा
धान की सीधी बुवाई करना भी इस योजना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है और उन्हें धान की सीधी बुवाई के लाभ के बारे में बताया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज़्यादा किसान इस योजना का लाभ ले सकें और समृद्ध हो सकें.
योजना में मिलने वाले लाभ
• किसान अगर धान की खेती की बजाय मक्का, कपास या सब्जी की खेती करता है तो उसे 7000 रूपये की सहायता दी जाएगी.
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• धान की सीधी बुवाई करता है तो उसे 4000 रूपये की सहायता दी जाएगी.
अंत में आपको बता दें कि इस योजना को लेकर सरकार बड़ी गंभीरता से काम कर रही है. और ज़्यादा से ज्यादा किसानों को भू जल स्तर को ठीक करने के इस अभियान में जोड़ने की कोशिश कर रही है.