आधुनिक तरीके से खेती करने हेतु किसानों के पास उन्नत किस्म के बीज सही समय पर होना बेहद जरूरी होता है. उन्नत किस्म के बीज से न केवल से न केवल कृषि विकास दर को गति मिलता है. बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिलती है. इसी के मद्देनजर बिहार में अब बीज की होम डिलेवरी होगी. दरअसल अब बीज निगम मांग के अनुसार किसानों को बीज उनके घर पहुंचाएगा. बांका जिले से इसकी शुरुआत भी की गई है. उस जिले के 17,00 किसानों के घर होम डिलेवरी की गई है. आगे इसका विस्तार सभी जिलों में चरणबद्ध होगा. इसके अलावा 5 शहरों में छत पर बागवानी लगाने की योजना भी शुरू की गई है. इस योजना के तहत इच्छुक मकान मालिक को लागत का 50 फीसद पैसा सरकार सब्सिडी के रूप में सरकार देगी. बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने 6 दिसंबर को यह घोषणा की.
किसानों को नहीं लगाना पड़ेगा दफ्तरों का चक्कर
दरअसल कृषि मंत्री प्रेम कुमार कृषि विभाग के सभागार में बीज निगम के नये पैक का लोकार्पण कर रहे थे. इसी मौके पर उन्होंने बागवानी मिशन की सभी योजनाओं को ऑनलाइन करने की घोषणा की. साथ ही उन्होने यह भी बताया कि अब किसी किसान को कार्यालयों को चक्कर नहीं काटना पड़ेगा. घर से ही वह किसी भी योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं और उसकी स्थिति की जानकारी भी ले सकते हैं.
छत पर बागवानी
शहरी क्षेत्रों की भाग-दौड़ की जिंदगी में हरित क्षेत्र तैयार करने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने घर की छतों पर बागवानी को प्रोत्साहन देने की योजना को स्वीकृति दी है. छतों पर बागवानी करने के लिए प्रति 300 वर्ग फीट में कुल लागत 50 हजार रुपये के साथ 'रूफटॉप गार्डनिंग' योजना स्वीकृत की गई है. इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार 50 फीसद और अधिकतम 25 हजार रुपये प्रति इकाई सब्सिडी देगी.” “रूफटॉप गार्डनिंग’ के लिए छत पर शेड नेट का भी निर्माण करवाया जाएगा. ‘रूफटॉप गार्डन’ बहुत ही आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए विकसित किया जाएगा. छत पर प्लास्टिक शीट बिछाई जाएगी. इसमें खरीफ, रबी और जायद मौसम के लिए सब्जी के बीज व पौध लगेंगे.” इनमें औषधीय एवं सुगंधित पौधे भी लगाए जाएंगे. फूल, ऑरनामेंटल इंडोर और आउटडोर प्लांट लगाए जाएंगे.
मौसम प्रतिकूल होने से बीज उत्पादन में गिरावट
कृषि मंत्री के मुताबिक मौसम विपरीत होने के कारण हाल के वर्षों में बीज के उत्पादन में गिरावट आई है. लेकिन जल्द स्थिति मजबूत होगी. राज्य के सभी 243 कृषि फार्मो में बेहतर ढंग से बीज की खेती करने पर निगम से बात हो रहे है. जररूत हुआ तो इसके लिए पीपीपी मोड भी अपनाया जा सकता है. हर हाल में राज्य को बीज के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है.