भारत एक ओर जहां खेती के लिए दुनियाभर में मशहूर है वहीं, दूसरी तरफ पशुपालन भी इसका अभिन्न अंग रहा है. देश के किसानों के लिए हमेशा से ही खेती जितना महत्वपूर्ण रहा है उतना ही महत्वपूर्ण पशुपालन भी रहा है. अगर मौजूदा वक्त में भारत में पशुपालन व्यवसाय की बात करें तो पशुधन गणना-2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है. जोकि यह दर्शाता है कि भारत में अभी भी पशुपालकों में पशुपालन का क्रेज है और पशुपालन व्यवसाय से वो अच्छा लाभ अर्जित कर रहें है. किसानों के लिए पशुपालन मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. किसानों के लिए पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय माना जाता है जिसमें घाटा होने की संभावना बेहद कम होती है.
मौजूदा वक्त में पशुपालन में आज कई नई वैज्ञानिक पद्धतियां विकसित हो गई हैं जोकि किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है. इसी के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम संचालित की है. इस स्कीम के तहत 10 भैंस की डेयरी को 7 लाख का ऋण पशुधन विभाग मुहैया कराएगा. हर वर्ग के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान है. योजना का लाभ सभी को मिले, इसके लिए कार्ययोजना बनाई है.
गौरतलब है कि कामधेनु और मिनी कामधेनु योजना पूर्व में संचालित की गई थी जिसके लिए भैंस पालन करने वाले को खुद के पास से भी मोटी रकम लगानी होती थी. जमीन भी बंधक होती तो तमाम शर्ते थीं, जिसको हर इंसान आसानी से पूरी नहीं कर पाता था. यह योजना जब शुरू हुई तो छोटी डेयरी की योजनाएं खत्म हो गईं. करीब एक साल पहले यह बड़े प्रोजेक्ट भी बंद हो गए.
अब केंद्र सरकार ने गांवों में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम शुरू की है. सरकार की ओर से फाइल मंजूर होते ही दो दिन के अंदर सब्सिडी भी दी जाएगी.
सामान्य वर्ग के लिए 25 प्रतिशत और महिला व एससी वर्ग के लिए 33 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. यह सब्सिडी संबंधित डेयरी संचालक के ही खाते में रहेगी.
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