Tea Farming Subsidy: बिहार सरकार ने किसानों को चाय की खेती/Cultivation of Tea करने के लिए एक बड़ी राहत दी है. अब राज्य के किसान चाय की खेती से जुड़ने के लिए प्रति हेक्टेयर 2.47 लाख रुपये तक का सहायतानुदान प्राप्त कर सकते हैं. यह कदम राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को विविध बनाने की दिशा में उठाया गया है. आइए आज के इस आर्टिकल में हम सरकार की इस बेहतरीन स्कीम से जुड़ी सभी जानकारी के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं.
चाय की खेती का महत्व
बिहार में चाय की खेती का एक लंबा इतिहास रहा है और अब सरकार ने इसे और बढ़ावा देने के लिए इस अनूठे प्रस्ताव को लागू किया है. विशेष रूप से किशनगंज जिले में चाय बागानों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है. राज्य सरकार की यह पहल किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है, क्योंकि चाय की खेती से न केवल उनकी आय बढ़ सकती है, बल्कि यह रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर सकती है.
किसे मिलेगी सहायतानुदान?
यह सहायतानुदान उन किसानों को मिलेगा जो चाय की खेती करने के इच्छुक हैं और जिनके पास खेती के लिए उपयुक्त भूमि है. सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर ₹ 2.47 लाख की राशि किसानों को सहायता के रूप में दी जाएगी, जिससे उन्हें चाय बागान की शुरुआत करने में आर्थिक सहारा मिलेगा.
चाय का क्षेत्र विस्तार
चाय की खेती बिहार के कुछ प्रमुख जिलों में बढ़ाई जा रही है, जिनमें किशनगंज, अररिया, सुपौल, पूर्णिया, और कटिहार शामिल हैं. इन क्षेत्रों में चाय के बागानों के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी पाई जाती है. इन जिलों में चाय की खेती से न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है, बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है.
बिहार की शान - किशनगंज की चाय बागान
किशनगंज जिले में चाय की खेती का क्षेत्र पहले से ही बढ़ रहा है और अब यह राज्य के प्रमुख चाय उत्पादक क्षेत्रों में शामिल हो गया है. यहां के चाय बागान बिहार की शान बन गए हैं, और इससे जुड़े किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है.
सरकार की पहल और वेबसाइट पर जानकारी
राज्य सरकार किसानों को चाय की खेती के लिए पूरी सहायता प्रदान कर रही है. अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं और योजना के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.