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Updated on: 27 April, 2021 3:33 PM IST
Sorghum

हरे चारे में पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं. पशुओं को हरा चारा खिलाने से उनकी पाचन क्रिया ठीक रहती है. इसलिए प्रतिदिन पशुओं को 15-20 किलो हरा चारा खिलाएँ. हरा चारा पशु को खिलाने से दूध का उत्पादन बढ़ता है. हरे चारे में पशुओं के लिए जरूरी विटामिन का तत्व केरोटीन (विटामिन ए) और प्रोटीन, फास्फोरस आदि तत्व उचित मात्रा में उपलब्ध होने से पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ता है. चारे में विटामिन की प्रचुरता से पशु का बीमारियों से बचाव होता है और उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है. मिश्रित हरे चारे के लिए ज्वार, मक्का, चरी बाजरा, लोबिया जैसी चारा फसलों की बुवाई कर सकते हैं. अच्छे किस्म के हरे चारे की एक से अधिक कटाई की जा सकती है. हरे चारे में पानी की मात्रा अधिक होने से गर्मी के मौसम में पशुओं में पानी की कमी नहीं रहती है. इसके अलावा हरे चारे में कई बार ऐसे पदार्थ भी पाये जाते हैं जिनकी वजह से उसकी गुणवत्ता कम हो जाती है तथा पशु द्वारा अधिक मात्रा में खाये जाने पर कई बार पशु की मृत्यु भी हो जाती है, जिसे हम आफरा बोलते हैं. सामान्य तौर पर चारा फसलों में हानिकारक तत्व नहीं पाए जाते हैं लेकिन जब कभी चारा फसलें तनावग्रस्त जैसे-पानी की कमी या अधिकता, सौर ऊर्जा की कमी तथा उर्वरकों की अधिक मात्रा में उपयोग करने की स्थिती में ये जहरीले तत्व पैदा हो जाते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. भूमि में आवश्यक पोषक तत्वों के संतुलित मात्रा में उपयोग करने, उचित जल प्रबंधन एवं कटाई प्रबंधन का उपयोग कर, हम विभिन्न चारा वाली फसलों में विषैले तत्व की समस्या से उभरा जा सकता है. पशुपालकों को इस प्रकार के विषाक्त तत्वों के बारे जानकारी होना अति आवश्यक है, जो निम्न है.

धुरिन या पुसिक अम्ल (Dhurrin to Prussic acid (HCN))

यह कारक मुख्य रूप से ज्वार (Sorghum) फसल में पाया जाता है. जब ज्वार की फसल में पानी की कमी होती है, तो इस कारक की पाये जाने की सम्भावना अधिक होती है. अधिक नत्रजन उपयोग विशेष रूप से फास्फोरस एवं पोटाशियम की कमी की दशा में धुरिन की मात्रा बढ़ जाती है. इसके बचाव के लिए हमें फसलों को पूर्ण परिपक्व अवस्था में ही काट कर खिलाना चाहिए. फसल की कटाई के समय किसी भी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए और 50 से कम ऊंचाई की ज्वार की फसलों को पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए. अधिक मात्रा में पशुओं द्वारा ग्रहण किये जाने पर एच.सी.एन. धुरिन तत्व पशु की उत्पादकता को कम करता है. पशु बीमार हो जाता है तथा बहुत अधिक मात्रा हो जाने पर पशु की मृत्यु भी हो जाती है.

आक्जेलेट (Oxellet)

इसकी मात्रा सबसे ज्यादा बाजरा, नेपियर घास में पायी जाती है. यह भोजन में उपलब्ध कैल्शियम और मैग्निशियम के साथ जुड़कर मैग्निशियम आक्जेलेट में परिवर्तित कर देता है, जो कि अघुलनशील है जिसके कारण खून में तत्वों की कमी हो जाती है तथा गुर्दे में जमा होकर पथरी बना देता है. जुगाली न करने वाले पशु इसके प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. इसी कारण जुगाली करने वाले पशुओं में 2 प्रतिशत एवं जुगाली नहीं करने वाले पशुओं में 0.5 प्रतिशत तक आक्जेलेट की मात्रा सुरक्षित होती है.

नाईट्रेट (Nitrate)

नाईट्रेट की मात्रा सबसे ज्यादा जई में पाई जाती है नाईट्रेट की मात्रा जई में सौर ऊर्जा की कमी से बढ़ती है. अधिक मात्रा में नाइट्रेट, नाइट्रोजन उर्वरक डालने पर होती है. नाइट्रेट, जई पौधे के निचले भाग में अधिक पाया जाता है. नाइट्रेट की विषाक्त्ता को कम करने के लिए प्रभावित चारे का साइलेज तैयार करना चाहिए, क्योंकि इस प्रक्रिया में नाईट्रेट का स्तर 40-50 प्रतिशत कम हो जाता है, जिसमें नाईट्रेट विषाक्त्ता की सम्भावना हो, उसे थोड़ा-थोड़ा खिलाना चाहिए या फिर जिस चारे में इसकी कम मात्रा हो, उसमें मिलाकर खिलाना चाहिए. जब मौसम नाईट्रेट की मात्रा बढ़ाने में सहायक जैसा हो, तो यह चारा भी नहीं खिलाना तथा मौसम के बदलाव की प्रतीक्षा करनी चाहिए.

सैपोनिन (Saponin)

सैपोनिन सबसे ज्यादा फलीदार फसलों में पाया जाता है, जैसे रिजका व बरसीम. सर्दी के मौसम में उगाये जाने वाली फलीदार चारों को खिलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए. सैपोनिन चारे में कड़वाहट पैदा करता है और उसको अस्वादिष्ट बना देता है. सैपोनिन की वजह से पशुओं में झाग पैदा होने की स्थिति से अफारा आ सकता है.

फाईटोएस्ट्रोजन (Phytoestrogen)

इसकी मात्रा 2.5 प्रतिशत तक फसलों में पायी जाती हैं. इसकी अधिक मात्रा फलीदार फसलों में पायी जाती है जैसे रिजका, बरसीम एवं विभिन्न प्रकार की क्लोवर आदि.

टैनिन (Tannin)

टैनिन सबसे ज्यादा बबूल में पाया जाता है. प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं खनिज तत्व टैनिन के साथ मिलकर जटिल पदार्थ बना देता है. इसकी वजह से पशु इन्हे पचा कर प्राप्त नहीं कर पाते हैं. टैनिन की मात्रा ठण्डे क्षेत्रों की घासों में बहुत कम फलीदार फसलों में 5 प्रतिशत से कम तथा गर्म क्षेत्रों में पाये जाने वाले चारे में अधिक पायी जाती है.

English Summary: Toxic substances found in fodder crops
Published on: 27 April 2021, 03:38 PM IST

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