किसानों के लिए खेती करना आसान नहीं होता है, वह फसल उगाते हैं, तो उनमें कई तरह के रोग व कीट का प्रकोप होता है. इसके साथ ही फसल को खरपतवार और इल्लियों (कैटरपिलर) से भी खतरा होता है. इनकी रोकथाम के लिए किसान कई कोशिशें करते हैं.
सामान्य रुप से किसान खेत में कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं. मगर जैविक खेती में इसका उपयोग नहीं हो सकता है. शायद यही एक कारण है कि इससे जैविक खेती में कम उत्पादन प्राप्त होता है, जिससे इसके प्रति किसानों का रुझान भी कम हो रहा है. मगर कहा जाता है कि अगर समस्या का समाधान मन और लगन से खोजा जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है. जी हां, इंदौर के पास सिमरोल गांव के किसान लेखराज पाटीदार ने एक अनोखा प्रयोग किया है. इससे इल्लियों को चकमा दिया जा सकता है. इस संबंध में पूरी जानकारी पढ़िएं इस लेख में-
किसान का अनोखा प्रयोग
किसान ने हल्दी की फसल को इल्लियों से बचाने के लिए ट्रैप क्राप का इस्तेमाल किया है. पहले खेत में ढेंचा यानी एक तरह का खरपतरवार फसल की तरह लगाया. इसके बाद बीच में हल्दी की बुवाई की. बता दे कि ढेंचा की पत्तियां काफी मुलायम होती हैं, जिन्हें इल्लियां काफी पसंद करती हैं और पास ही उगी कड़े पत्तों वाली हल्दी को छोड़ देती हैं. किसान के इस प्रयोग से एक एकड़ हल्दी की खेती में 1.69 लाख रुपए का मुनाफा हुआ.
क्यों कहते हैं ढ़ेचा को ट्रैप क्राप
यह इल्लियों व अन्य नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी ओर आकर्षित करता है, इसलिए इसे ट्रैप क्राप कहा जाता है. वैज्ञानिक भी इसे जैविक खेती के लिए उपयोगी मानते हैं.
कहां की जानकारी हासिल?
किसान लेखराज पाटीदार के अनुसार, उन्होंने एग्रीकल्चर टेक्नोलाजी मैनेजमेंट एजेंसी से इस तकनीक की जानकारी हासिल की. उनका मानना है कि रासायनिक खाद के लगातार उपयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है. इसके साथ ही उगाई गई फसल सेहत के लिए हानिकारक होती है. मगर ट्रैप क्राप तकनीक का उपयोग करके पता चला कि इससे फसल को खाद भी जैविक मिलती है. इसके अलावा किसान ने 5 पत्तियों का काढ़ा, जीवामृत, छाछ से बनी दवाई और वर्मी कम्पोस्ट का भी उपयोग किया है.
अन्य फसलों के लिए भी उपयोगी
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ढेंचा ट्रैप क्राप के रूप में हल्दी के साथ-साथ परंपरागत फसलों के लिए भी काफी उपयोगी है. इसके अलावा मसालों और सब्जियों की फसल के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
ढेंचा बढ़ाता है मिट्टी की उर्वरक क्षमता
जानकारी के लिए बता दें कि ढेंचा मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है, इसलिए इसे हरित खाद के रूप में भी जाना जाता है. जब यह मिट्टी में मिलते हैं, तो केंचुओं के लिए बहुत लाभदायक होता है. बता दें कि फसलों के लिए कीटनाशकों का उपयोग करके इल्लियों के साथ-साथ फायदेमंद कीट (मित्र कीट) भी नष्ट हो जाते हैं. विशेष जानने योग्य बात यह है कि इल्लियां फसल खराब करती हैं, तो मित्र कीट इल्लियों को खाकर फसल बचाते हैं.
लागत कम में अधिक मुनाफा
किसान लेखराज ने एक एकड़ में हल्दी की खेती की, जिसके लिए जैविक पद्धति को अपनाया. इससे उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा मिला है. अगर रासायनिक खेती करें, तो अनुमानित लागत अधिक लगती है. इसके साथ ही फसल की बिक्री जैविक के मुकाबले आधी कीमत पर होती है. यह निर्णय किसान भाइयों की सोच और क्षमता पर निर्भर है कि वें किस प्रकार की खेती करना पसंद करते हैं.
उपयुक्त जानकारी से पता चलता है कि ट्रैप क्राप से हल्दी की खेती करना काफी लाभदायक है. किसान ने हल्दी के साथ ढेंचा का प्रयोग पहली बार किया है, जो कि कारगर साबित हुआ. इससे खेती के साथ-साथ मुनाफा भी अच्छा मिला है.
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