किसानों के बीच जैविक खेती का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है. इस तरह की खेती में रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे जैविक खेती का नाम दिया गया है. मगर जैविक खेती तभी सही तरीके से हो पाएगी, जब उसमें इस्तेमाल की जाने वाला खाद भी जैविक हो. इसके लिए केंचुआ खाद या फिर वर्मी कंपोस्ट (Vermi compost) बहुत उपयुक्त है.
वर्मी कंपोस्ट (Vermi compost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है, जिसे केंचुआ जैसे कीड़ों के द्वारा पौधों और भोजन के कचरे को तोड़कर बनाया जाता है. इस खाद की विशेषता यह है कि यह कम समय में बनकर तैयार हो जाती है. इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए कृषि जागरण ने उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के बहलीमपुरा में रहने वाले जैपाल से जानकारी प्राप्त की. बता दें कि जैपाल एक एकड़ में वर्मी कंपोस्ट (Vermi compost) बनाकर तैयार करते हैं. तो आइए जानते हैं कि वो वर्मी कंपोस्ट (Vermi compost) के बारे में क्या कहते हैं?
कब से शुरू किया वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम
किसान जैपाल ने साल 2000 से वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम शुरू किया है. उन्होंने एक बार इस संबंध में टी.वी पर कार्यक्रम देखा था, जिसके बाद उनके मन में वर्मी कंपोस्ट बनाने का विचार आएया. उनका कहना है कि अगर किसान भाई अपनी दिनचर्चा में इसे शामिल कर लेते हैं और दिन में एक घंटा निकाल कर इस पर काम करते हैं, तो एक महीने में 50 बीघा खेत के लिए खाद तैय़ार कर सकते हैं. खास बात यह है कि किसान जैपाल का पूरा परिवार इस काम में उनकी मदद करता है.
कैसे शुरू किया वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम
किसान जैपाल का कहना है कि उन्होंने बागपत में रहने वाले अपने करीबी के यहां वर्मी कंपोस्ट बनाने का आइडिया लिया. यहां उन्होंने जानकारी ली कि इसके लिए कितनी जगह की जरूरत है औऱ किस तरह इसको शुरू किया जा सकता है.
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वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया
सबसे पहले एक महीने के लिए गोबर का ढेर बनाकर छोड़ दें, जिसमें 80 प्रतिशत गोबर और 20 प्रतिशत गलने वाली कोई भी चीज मिला दो. इससे केंचुओं का भोजन तैयार हो जाता है. अगर गर्मी का मौसम है, तो एक महीने में केंचुओं के लिए भोजन तैयार हो जाता है. अगर इस ढेर से 70 प्रतिशत तक बदबू निकल दजाती है, तो समझ जाएं कि केंचुओं का भोजन तैयार हो गया है. ध्यान रहे कि गोबर एक से डेढ़ महीने पहले का होना चाहिए. वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया में लंबाई व ऊंचाई का विशेष ध्यान रखना होता है. बता दें कि यह ढाई फीट चौड़ा और 10 इंच ऊंचा होना चाहिए. बाकी लंबाई जगह के हिसाब से ले सकते हैं. आपको बाजार में 300 से 400 रुपए प्रति किलो केंचुओं का भाव मिल जाएगा.
किसान जैपाल बताते हैं कि एक से दो महीने में खाद तैयार हो जाती है. किसान भाई एक क्विटंल गोबर से लगभग 30 से 40 प्रतिशत खाद निकाल सकते हैं. इससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है.